क्या होता है NCD
कंपनियां पैसा जुटाने के लिए IPO की तरह ही नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) जारी करती हैं, पर इनमें निवेशकों को एक तय दर से ब्याज मिलता है। NCD तय अवधि में मैच्योर होती है। एनसीडी की मैच्योरिटी अवधि एक साल से 10 साल तक है। सभी एनसीडी एक्सचेंज पर लिस्ट होती हैं। इसमें मासिक, तिमाही, छमाही, सालाना या मैच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज मिलता है।
मोतीलाल ओसवाल का एनसीडी खुला
कंपनी इस इश्यू से 1,000 करोड़ रुपए जुटाएगी। इस एनसीडी में 7 मई तक निवेश किया जा सकता है। क्रिसिल और इंडिया रेटिंग्स ने इसे एए रेटिंग दी है, जिसे सुरक्षित माना जाता है। इस एनसीडी का इफेक्टिव सालाना यील्ड 8.85% से 9.70% के बीच है। इसमें 2 साल, 3 साल, 5 साल और 10 साल के लिए निवेश कर सकते हैं।
अधिक रिटर्न वाले टॉप रेटेड NCD
एनसीडी कूपन रेट YTM मोतीलाल ओसवाल एनसीडी 9.70% इंडियाबुल्स कमर्शियल क्रेडिट 8.84% 10.64% इंडिया इंफोलाइन फाइनेंस 10.0% 9.31% श्रीराम ट्रासपोर्ट फाइनेंस 9.50% 9.03% जेएम फाइनेंशियल क्रेडिट 9.75% 8.84%जिस ब्याज दर पर एनसीडी जारी हुआ उसे कूपन रेट कहते हैं। वहीं यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) का मतलब मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर मिलने वाला रिटर्न होता है।
एनसीडी के फायदे
– डीमैट में रखे एनसीडी को मैच्योरिटी से पहले कभी भी बेच सकते हैं, इनकी शेयर बाजार में ट्रेडिंग होती है।
– एनसीडी को डीमैट फॉर्मैट में लेने पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस नहीं कटता है।– मैच्योरिटी से पहले बेचने पर किसी तरह की पेनल्टी नहीं लगती है, जबकि एफडी के प्री-मैच्योर विड्रॉअल पर जुर्माना लगता है।
यह है जोखिम
– सिक्योर्ड एनसीडी में डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता। इसमें कंपनी की सिक्योरिटी होती है, पर अनसिक्योर्ड एनसीडी में डिफॉल्ट का रिस्क होता है।
– एनसीडी में बैंक एफडी और अन्य बचत योजनाओं के साथ लगभग सभी डेट सिक्योरिटीज से अधिक ब्याज मिलता है, पर इनमें रिस्क भी अधिक है।
– एनसीडी को इक्विटी शेयर में नहीं बदला जा सकता है।