खेड़ाधणी की माता के नाम से गांव का नाम पड़ामातासुख ग्रामीण नाथुराम धेड़ू, दीनाराम धेड़ू, दुर्गाराम धेड़ू, किरपारामधेड़ू ने बताया कि गांव का मातासुख नाम धेड़ूगौत्र के कुल देवता माणकबाबा की माता के नाम पर हुआ है। माणकबाबा की माता का नाम सदासुखी था, इससे मातासुख कहा जाने लगा। गांव में सबसे ज्यादा जाट जाति के धेड़ूगौत्र के लोग निवास करते हैं। देशभर से कुल देवता के फेरी लगाने व मत्था टेकने सैकड़ों श्रद्धालु यहां आते हैं। मंदिर निर्माण का करीब अस्सी प्रतिशत कार्य हो चुका है। काम प्रगति चल रहा है।
चोरों से लड़ने के बाद गांव की रक्षा में ली थी जल समाधी- कुल देवता के इतिहास के अनुसार माणकबाबा के जल समाधी लेने पर उनकी पत्नी गौरां माता सती हुई थी। ग्रामीण हड़मानराम, मुकेश ने बताया कि दंतकथा व बही भाट के विवरण में मातासुख गांव का नाम पहले महालेरीगढ़ था। गांव में धेड़ूगौत्र के लोग निवास करते थे। पुराने समय में गांव को लूटने के लिए लुटेरों की फौजें आती थी। यह गांव काफी विकसित व धनवान था इसलिए यहां पर फौजों का हमला होता रहता था। माणकबाबा गांववालों के साथ मिलकर इनका मुकाबला करते थे। इससे परेशानी बाबा ने गांव की रक्षा के लिए कुलदेवी नागणेच्या माता की भक्ति की। माता ने प्रसन्न होकर उनको जल समाधि लेकर गांव की रक्षा करने की बात कही। बताया जाता है कि माता के आदेश पर माणकबाबा ने गांव के बाहर स्थित तालाब में जल समाधि ली तथा उनके पीछे पत्नी गौरां भी सती हो गई।
ये होंगे कार्य मंदिर के सामने नागणेच्या माता का मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा। सती-सता मंदिर निर्माण के साथ ही एक पार्क विकसित किया जाएगा। पास में स्थित तालाब का जीर्णोद्धार कार्य करवाया जाएगा।