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भाजपा को रास नहीं आया कोई पिछड़ा नेता, सवर्ण को सौंपी कुर्सी

locationआजमगढ़Published: May 14, 2018 04:56:17 pm

Submitted by:

Sunil Yadav

पंकज सिंह के करीबी जयनाथ सिंह बने बीजेपी के जिलाध्यक्ष
 

भाजपा को रास नहीं आया कोई पिछड़ा नेता, सवर्ण को सौंपी कुर्सी

भाजपा को रास नहीं आया कोई पिछड़ा नेता, सवर्ण को सौंपी कुर्सी

आजमगढ़. सवर्णों को प्रश्रय और पिछड़ों की अनदेखी के आरोप से चौतरफा घिरी बीजेपी ने विरोधियों को एक और मौका दे दिया है। पार्टी ने उम्मीद के विपरीत आजमगढ़ जिलाध्यक्ष की कुर्सी सवर्ण के हाथ में सौंप दी। जबकि दो सवर्णों के एमएलसी बनने के बाद माना जा रहा था कि अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई पिछड़ी जाति का नेता बैठेगा। पंकज सिंह के करीबी जयनाथ सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर बीजेपी चर्चा में है। दबी जुबान ही सही लेकिन पार्टी के पिछड़ी जाति के नेता इसे अपनी अनदेखी बता रहे हैं।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी का गठन वर्ष 1980 में हुआ था। तब जिले में अति पिछड़ों के संख्या बल को देखते हुए पार्टी ने सुख्खू चौहान को पहला जिलाध्यक्ष बनाया था। वे दो साल तक पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद पार्टी ने कभी किसी पिछड़े को मौका नहीं दिया। वर्ष 1982 में अक्षयबर सिंह दूसरे अध्यक्ष बने। इसके बाद क्रमशः श्रीकृष्ण तिवारी, राम मूरत सिंह, शिवनाथ सिंह, श्याम बहादुर सिंह, देवेंद्र सिंह, विनोद राय , प्रेमनारायण पांडेय, सहजानंद राय और प्रेम प्रकाश राय को जिलाध्यक्ष बनाया गया। वर्तमान में प्रेम प्रकाश राय के हाथ में ही जिले की कमान थी।

गौर करें तो आजमगढ़ में हमेशा से पिछड़ों का प्रभाव रहा है। आजादी के बाद पहली बार वर्ष 2009 में बीजेपी को आजमगढ़ संसदीय सीट तब जीतने का मौका मिला जब उन्होंने रमाकांत यादव को मैदान में उतारा और पिछड़े उसके साथ खड़े हुए। हाल में बीजेपी ने आजमगढ़ जनपद से यशवंत सिंह और विजय बहादुर पाठक को एमएलसी बनाया तो ऐसा माना जा रहा था कि वह किसी पिछड़ी जाति के नेता को जिलाध्यक्ष बनाएगी। कारण कि आने वाले समय में चुनाव है और अगर रमाकांत यादव पार्टी छोड़ते है तो बीजेपी पहले ही सवर्ण उतारने का मन बना चुकी है। अबतक दावेदारी भी सवर्ण ही कर रहे है। ऐसे में पिछड़ी जाति का अध्यक्ष होता तो बीजेपी को जनता के बीच जाने में आसानी होती।

पार्टी के पिछड़ी जाति के नेता बृजेश यादव, श्रीकृष्ण पाल, घनश्याम पटेल सहित कई नेता पद के दावेदार माने जा रहे थे लेकिन पार्टी ने रविवार को गृहमंत्री के पुत्र पंकज सिंह के करीबी जयनाथ सिंह को जिलाध्यक्ष बना दिया। जयनाथ सिंह भी पार्टी के पुराने नेता है। पार्टी ने इन्हें 2012 में सदर विधानसभा से चुनाव लड़ाया था लेकिन वे जमानत भी नहीं बचा पाए थे। अब पार्टी की कमान उनके हाथ में है। पिछड़े नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में संगठन को एक सूत्र में बांध कर चलना और 2019 में पार्टी के विजय रथ को आगे बढ़ाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
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