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युवाओं को काम-धंधे के लिए ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं बैंक

locationभीलवाड़ाPublished: Mar 13, 2018 01:14:31 pm

Submitted by:

tej narayan

युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे का सपना दिखाकर उद्योग विभाग आवेदन ले रहा है लेकिन बैंकों इन्हें ऋण देने में आनाकानी कर रहे है

Self employment

युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे का सपना दिखाकर उद्योग विभाग आवेदन ले रहा है लेकिन बैंकों इन्हें ऋण देने में आनाकानी कर रहे है

भीलवाड़ा।

युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे का सपना दिखाकर उद्योग विभाग आवेदन ले रहा है लेकिन बैंकों इन्हें ऋण देने में आनाकानी कर रहे है। स्थिति यह है कि इन्हीं बैंकों से कई एेसे लोग है जिन्होंने करोड़ों रुपए का लोन अधूरे दस्तावेज से ही ले लिया लेकिन जो युवा आगे बढऩे के लिए लघु व कुटीर उद्योग केलिए ऋण मांग रहे हैं, बैंक उसे देने से बच रहे हैं। उधर, सरकार कई योजनाएं ला रही है। इनमें सरकार सब्सिडी देती है लेकिन बैंक लोन देने से कतरा रहे हैं।
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स्थिति यह है कि एेसे में युवाओं से ऋण के आवेदन लिए जा रहे हैं लेकिन ऋण नहीं मिला। प्रदेश में प्रधानमंत्री रोजगार ? सृजन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 24516युवाओं से आवेदन लिया गया। इनमें मात्र 4776को ही ऋण मिला। इसी तरह भामाशाह रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2015-16 से 2016-17 तक 5798 तक आवेदन लिए। इनमें से 15952 को ही ऋण स्वीकृत किया गया।
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सब्सिडी न पूरी जानकारी

जिन युवाओं ने सरकारी योजनाओं में ऋण लिया है, अब उन्होंने पुरा चुका लिया लेकिन उन्हें सरकार से सब्सिडी का लाभ नहीं मिला। बैंकों ने ऋण पूरा ले लिया लेकिन युवाओं को छूट का फायदा नहीं मिला। आवेदक सब्सिडी व ऋण के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

भीलवाड़ा की स्थिति खराब,3 वर्ष में 80
जिले के युवाओं को भी बैंक ऋण देने में पीछे हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में भीलवाड़ा में तीन साल में 580 आवेदन लिए गए। इनमें मात्र 80 युवाओं को ऋण दिया गया। भामाशाह रोजगार सृजन कार्यक्रम में दो साल में 2098 युवाओं से आवेदन लिए गए। इनमें 703को ऋण दिया गया।

सही है, हम अनुशंसा करते हैं पर बैंक बचते

हां, यह बात सही है कि हम जिन्हें ऋण देने की अनुशंसा करते हैं उनमें भी बैंक बचते हैं। उन्हें एनपीए होने का खतरा लगता होगा। लेकिन इतने टारगेट नहीं होते हैं। हम खुद भी बैंकों को ऋण देने के लिए पत्र लिखते रहते हैं।
राहुलदेव सिंह, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र भीलवाड़ा

करेड़ा के देवेंद्र स्वर्णकार ने भामाशाह सृजन योजना में आवेदन लिया। व्यापार के लिए चार लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ। उद्योग केंद्र ने फाइल बेमाली बैंक भेजी। आवेदक ने बैंक में संपर्क किया तो करेड़ा बैंक में ऋण देने की बात कहकर टाल दिया। इसके बाद फाइल को बेमाली को करेड़ा भिजवाया लेकिन अब तक ऋण नहीं मिला है।

बागोर के हेमेंद्रकुमार ने तीन साल पहले जिला उद्योग केंद्र प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत डेढ़ लाख रुपए का ऋण लिया। बागोर में पीएनबी की शाखा ने ऋण दिया। ऋण जमा हो गया पर सरकार से सब्सिडी का पता नहीं है। आवेदक ने कई बार बैंक में संपर्क किया लेकिन वहां से उद्योग केंद्र के लिए बोला। अब सब्सिडी के कई आवेदक परेशान हैं।
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