रविवार को भोजशाला में मिट्टी हटाने का काम चलता रहा। कमाल मौलाना की दरगाह में केमिकल टीम के विशेषज्ञों ने दरगाह परिसर के लेखों आदि की जानकारी पेपर रोल पर दर्ज की। भोजशाला की फिर से वीडियो व फोटोग्राफी भी की गई।
कोर्ट के 11 मार्च के आदेश के अंतर्गत यहां छह सप्ताह तक सर्वे किया जाना है। 42 दिनों के सर्वे में से अब तक यानि रविवार तक 38 दिनों का सर्वे पूरा किया जा चुका है। कोर्ट द्वारा निर्धारित सर्वे के केवल चार दिन बचे हैं, जबकि अभी कई काम अधूरे हैं।
सर्वे व्यापक स्तर पर करने की मांग की जा रही है। हिंदू पक्ष के अनुसार आधा कार्य भी नहीं हो पाया है। याचिकाकर्ता आशीष गोयल के अनुसार हाईकोर्ट ने भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे का आदेश दिया था। इसमें अभी तक जीपीआर व जीपीएस तकनीकों का उपयोग ही नहीं किया गया है। सच्चाई सामने लाने के लिए इसका उपयोग जरूरी है। गोयल ने दावा किया कि भोजशाला सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर है और यह सच वैज्ञानिक सर्वे में सामने आ जाएगा।
सभी की कोर्ट में सुनवाई पर नजर
29 अप्रैल को इंदौर उच्च न्यायालय खंडपीठ में होने वाली सुनवाई पर सभी की निगाहें हैं। 11 मार्च के आदेश के साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई 29 अप्रैल तय की थी। इससे पहले 23 अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कोर्ट से सर्वे के लिए आठ सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा गया था।