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भोपाल

ट्रेन हादसा: वो तेज धमाका ही था, आज भी कानों में गूंज रही उसकी आवाज

 भोपाल के यात्रियों के बयान से यह बात सामने आई थी कि हादसा अपने आप नहीं, बल्कि किसी साजिश के तहत हुआ था।

भोपालJan 18, 2017 / 10:37 am

Anwar Khan

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भोपाल। 20 नवंबर 2016 को उप्र के कानपुर के पुखरायां में हुए इंदौर-पटना ट्रेन हादसे के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। भारत-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार तीन आरोपियों ने इस हादसे के पीछे आईएसआई की साजिश बताया। आपको बता दें कि हादसे के वक्त ट्रेन में भोपाल मंडल के 171, जबकि भोपाल शहर से 91 यात्री सवार थे, इनमें से 6 यात्रियों की मौत हो गई थी। जो भोपाल के नागरिक हादसे में बचे थे, उन्होंने भोपाल लौटकर बताया था कि ट्रेन जब बेपटरी हुई, उस वक्त तेज आवाज के साथ धमाका हुआ था। हादसे के बाद प्राथमिक जांच में भी किसी भी प्रकार की त्रुटि न मिलने पर ये तथ्य सामने आया था कि कहीं हादसा किसी साजिश के तहत तो नहीं हुआ? पर, भोपाल के यात्रियों के बयान से यह बात सामने आई थी कि हादसा अपने आप नहीं, बल्कि किसी साजिश के तहत हुआ था। आइए जानते हैं कि इस मामले में अब क्या कह रहे भोपाल के वो यात्री…




बेपटरी होने के पहले आई थी आवाज

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भोपाल के अवधपुरी में रहने वाली नुपूर शर्मा भी हादसे के वक्त ट्रेन में थीं। उन्होंने पत्रिका को बताया कि हादसे के वक्त मैं जाग रही थी। ट्रेन के कोच जब पटरी से उतरे उससे कुछ सेकंड पहले ट्रेन की आवाज बदली थी। कुछ समझ पाती उससे पहले कोच पलट गया। इसके बाद होश आया तो अस्पताल में थी। नूपुर ट्रेन के एस-1 कोच में पति अरुण शमाज़्, बेटे दिव्यांश और श्रेयान के साथ सफर कर रही थीं। हादसे में उनके छोटे बेटे श्रेयान की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि वह और उनके पति शर्मा घायल हो गए। दोनों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।




ट्रेन से तेज आवाज तो आई थी पर समझ में नहीं आया 
इंदौर-पटना ट्रेन से यात्रा करने के दौरान बड़ी घटना से बचे एक यात्री नीलेश सिंह बघेल ने बताया कि उन्हें हादसे के वक्त काफी तेज आवाज आई थी, पर समझ में नहीं आया था। बम जैसी आवाज आने की बात कहते हुए नीलेश ने बताया कि वे बी-2 कोच की बर्थ नंबर 64 पर थे। पहले तो बम फटने जैसा लगा पर कोच से बाहर झांककर देखा तो बी-3 कोच पूरी तरह खत्म दिखा। साथ ही बाजू वाली पटरी पर तीन कोच पड़े दिखे। 




भैया बचा नहीं पाए थे बच्ची को
बी-3 कोच की बर्थ नंबर 33, 34 और 36 पर सत्येंद्र सिंह उनकी पत्नी गीता सिंह व बच्ची रागिनी सिंह रवाना हुए थे। इनमें से मात्र सत्येंद्र सिंह ही बच सके थे। उनके भाई वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हादसे के वक्त भैया, भाभी व बच्ची सो रहे थे। इसलिए आवाज के बारे में कुछ नहीं कह सकते। इतना जरूर है कि भैया बच्ची को नहीं बचा सके थे। अभी सत्येंद्र सिंह उनके शांति निकेतन स्थित निवास पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। उनके पैर में चार फ्रेक्चर थे। 

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