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वोडाफोन-आइडिया ने सरकार से लगाई गुहार, AGR भुगतान के लिए 15 साल का मांगा समय

आइडिया ( Idea ) के मुखिया कुमार मंगलम बिड़ला ने भी साफ किया कि कंपनी को बचाने के लिए सरकार को आगे आना ही पड़ेगा। इसी कड़ी में अब कंपनी ने AGR के बकाये भुगतान के लिए सरकार से मदद मांगी है।

Feb 28, 2020 / 07:52 am

manish ranjan

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Vodafone Idea ask govt to support in AGR Due

नई दिल्ली। देश की बड़ी टेलिकॉम कंपनियों में शुमार वोडाफोन-आइडिया ( Vodafone-Idea ) की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही है। वोडाफोन ( Vodafone ) के सीईओ निक रीड ने भी साफ किया था कंपनी की हालत में सुधार नही हुआ या सरकार ने मदद नही की तो वोडाफोन के भारत का कारोबार समेटना पड़ेगा। वही आइडिया ( Idea ) के मुखिया कुमार मंगलम बिड़ला ने भी साफ किया कि कंपनी को बचाने के लिए सरकार को आगे आना ही पड़ेगा। इसी कड़ी में अब कंपनी ने AGR के बकाये भुगतान के लिए सरकार से मदद मांगते हुए एजीआर भुगतान के लिए 15 साल का समय मांगा है।

सरकार को लिखी चिट्ठी

वोडाफोन आइडिया ने सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें एजीआर की बकाया राशि का भुगतान करने में मदद मांगी है। कंपनी ने यह चिट्ठी नीति आयोग और वित्तमंत्री को भी लिखा गया है, जिसमें भुगतान के लिए मदद मांगी गई है। आपको बता दें कि वोडाफोन-आइडिया पर एजीआर के 53,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। हालांकि यह स्वमूल्यांकन है, जोकि स्पष्ट रूप से बहुत कम आंकड़ा है।

8000 करोड़ जुर्माने की रकम

कंपनी की कुल AGR काये में जीएसटी रिफंड के 8,000 करोड़ रुपये, जुर्माने की रकम, ब्याज और जुर्माने पर ब्याज का भुगतान भी शामिल है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने दूरसंचार कंपनियों पर एजीआर बकाए की वसूली को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। वोडाफोन-आइडिया के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल और दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को भी AGR के बकाये राशि की भुगतान करने को कहा है।

जियो ने बढ़ाई मुश्किलें

दरअसल टेलिकॉम सेक्टर में जबसे मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने कदम रखा और ग्राहकों को सस्ते टैरिफ और इंटरनेट मुहैया कराए तबसे मजबूरन दूसरी कंपनियों को भी अपने टैरिफ कम करने पड़े। जिसकी वजह से कंपनियों की माली हालत खराब होने लगी। कंपनियों की खस्ता हाल का नतीजा उनके तिमही नतीजों पर भी दिखने लगा। अब अगर सरकार ने वोडाफोन-आइडिया की मदद नही की तो कंपनी को मजबूरी ने कोई फैसला लेना पड़ सकता है। सरकार की पॉलिसी है कि टेलिकॉम इंडस्ट्री में कम से कम तीन निजी कंपनियां होना जरूरी है। इसी के तहत सरकार वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल को बचाने के लिए कोई विकल्प तलाशा जाएगा।

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