scriptयहां जिंदगी नहीं, मौत के लिए आते है लोग | There is no life here people come to death | Patrika News

यहां जिंदगी नहीं, मौत के लिए आते है लोग

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 10, 2017 12:35:05 pm

Submitted by:

dinesh sahu

लाइलाज जिला अस्पताल… परिजन ने लगाया लापरवाही का आरोप, किया हंगामा

यहां जिंदगी नहीं, मौत के लिए आते है लोग

यहां जिंदगी नहीं, मौत के लिए आते है लोग

छिंदवाड़ा . जिला अस्पताल के डीवीडी वार्ड में तीन से भर्ती महिला ने सोमवार दोपहर १२.३० बजे इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद किसी डॉक्टर ने जीवित रहते उस महिला की सुध नहीं ली। इतना ही नहीं विगत कई दिनों से डॉक्टर ने वार्ड का राउंड भी नहीं लिया। परिजन ने महिला की मौत की वजह डॉक्टरों की लापरवाही बताया तथा वार्ड में हंगामा किया। जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा के बरारीपुरा निवासी सुशीला ठाकरे बुखार तथा खांसी की से पीडि़त थी।
इलाज के लिए उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। पुत्र पंकज ठाकरे ने बताया कि डॉक्टर इलाज की बजाय बार-बार जांच के लिए बोल रहे थे। जांच के बाद रिपोर्ट देखने की जगह दोबारा जांच के लिए लिख देते थे। भर्ती होने के तीसरे दिन हालत बिगडऩे पर वे आठ बार डॉक्टर के पास गए, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी तथा मौत के बाद डॉक्टर औपचारिकता निभाने पहुंच गए थे।
हमेशा मिला सिर्फ आश्वासन


जिला अस्पताल में लापरवाही के कई मामलों में कलेक्टर का ध्यान आकर्षित किया गया, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला है। ओपीडी कक्ष क्रमांक-१६ में हार्ट, बीपी, शुगर, वृद्धजन तथा गम्भीर रोगों से पीडि़त मरीजों को उपचार दिया जाता है। लेकिन इस ओपीडी से डॉक्टर हमेशा नदारत रहते हैं। इतना ही नहीं कई डॉक्टर निर्धारित समय से पहले ही ओपीडी छोडक़र घर चले जाते हैं।

बेवजह बीपी-शुगर की जांच


मरीजों के सवाल-जवाब से बचने के लिए डॉक्टर बेवजह बीपी तथा शुगर की जांच कराने का बोलते हैं। अस्पताल आने से पहले मरीज को पंजीयन कराने के लिए लम्बी कतार में खड़ा होना पड़ता है। इसके बाद ओपीडी में डॉक्टर के पास पहुंचते ही बीपी-शुगर की जांच कराने के लिए बोला जाता है। जहां फिर से लाइन लगानी पड़ती है। जब तक वह जांच कराकर लौटता है डॉक्टर ओपीडी से गायब हो जाते हैं। एेसे में मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता है।

अधिकारी को दी है सूचना


ओपीडी कक्ष क्रमांक-१६ में डॉक्टर की लापरवाही की सूचना उच्चाधिकारियों को कई बार दी गई है। इसके बावजूद स्थिति जस की तस है।


डॉ. सुशील दुबे, आरएमओ, जिला अस्पताल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो