ऑस्टियोपोरोसिस-
हड्डियों को पतला करने वाली यह बीमारी महिलाओं को होती है क्योंकि हिप ऑस्टियोपोरोसिस उन्हें ही होता है। 50 की उम्र के बाद 5 में से 1 पुरुष को यह रोग हो सकता है।
कारण : महिलाओं की बोन डेन्सिटी (हड्डियों का घनत्व) पुरुषों के मुकाबले कम होती है। मेनोपॉज के बाद हड्डियों का क्षय बढ़ जाता है।
उपाय : दूध पिएं, रोजाना 5-10 मिनट धूप में बैठें और 30 मिनट वजन उठाने संबंधी व्यायाम करें।
हृदय रोग –
हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा पुरुषों के समान महिलाएं को भी होता है।
कारण : मेनोपॉज से पहले तक एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के दिल के लिए सुरक्षा कवच की तरह होता है। इसके बाद उनमें हृदय रोगों की आशंका पुरुषों की तरह बढ़ जाती है।
उपाय : नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान, तली-भुनी चीजों व जंकफूड से परहेज करें। फैमिली हिस्ट्री होने पर 40 साल की उम्र के बाद नियमित जांच कराएं।
लिवर डैमेज –
लिवर डैमेज होने का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है। इससे 40 फीसदी महिलाओं और ६० फीसदी पुरुषों की मृत्यु हो जाती है।
कारण : शराब का सेवन, कुपोषण, सिरोसिस, हैमोक्रोमेटोसिस (शरीर में अधिक मात्रा में आयरन का इक्कठा होना)।
उपाय : शराब के सेवन से बचें, साफ पानी पिएं, नियमित व्यायाम करें। घी, तेल, मिर्च-मसालों से परहेज करें। 40 की उम्र के बाद डॉक्टरी सलाह से टेस्ट कराएं। बेवजह पेन किलर न खाएं।
सर्दी और जुकाम –
हालिया रिसर्च में सामने आया है कि महिलाओं में सर्दी और जुकाम होने की आशंका पुरुषों की तुलना में कम होती है।
कारण : स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं का प्रतिरोधी तंत्र एस्ट्रोजन हार्मोन के उच्च दर की वजह से पुरुषों की तुलना में ज्यादा सक्रिय होता है जो जुकाम के वायरस से लडऩे के लिए सक्षम होता है। वहीं पुरुषों का प्रतिरोधी तंत्र इस रोग से लड़ने के लिए कमजोर होता है क्योंकि टेस्टोरोन हार्मोन इस वायरस से लड़ नहीं पाता।
उपाय : यह संक्रामक रोग है इसलिए पीडि़त व्यक्ति से दूर रहें। खाना खाने से पहले व बाद में हाथ धोएं। ठंडे से गर्म व गर्म से ठंडे वातावरण में न जाएं। खेलने के तुरंत बाद ठंडा पानी न पिएं। धूल भरे वातावरण से बचें या नाक को कवर करें।
फेफड़ों का कैंसर –
बदलती जीवनशैली व स्मोकिंग की आदत से महिलाओं में भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
कारण : फेफड़ों के कैंसर की 80फीसदी वजह धूम्रपान है। यह सिगरेट या अन्य कोई भी धुंआ हो सकता है। सिगरेट न पीने वाले भी अप्रत्यक्ष रूप से इस रोग से प्रभावित हो सकते हैं।
उपाय : धूम्रपान, तंबाकू व शराब से दूर रहें। संतुलित आहार लें व व्यायाम करें। प्राणायाम भी फेफड़ों के लिए काफी उपयोगी होता है।