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पुरुषों से न करें तुलना, हम अपने लिए खेलते हैं |

Published: Jul 25, 2017 04:27:00 pm

Submitted by:

Kuldeep

 मैं आप सबसे अपील करती हूँ कि खेल को खेल की तरह से आनंद लीजिये महिलाओं की तुलना पुरुषों से न करें बल्कि इसको महिलाओं के नजरिये से देखें। 

MITHALI RAJ, JHULAN GOSWAMI

MITHALI RAJ, JHULAN GOSWAMI

नई दिल्ली : हम विश्वकप नहीं जीत सके लेकिन फाइनल तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है। यह अपने आप मैं एक खास अनुभव होता है,कि आप फाइनल मैं खेल रहे हैं। य़हां तक सफर बहुत आसान नहीं था। बहुत से मौके आये जब लगा कि अब सबकुछ खत्म हो रहा है,हमने वापसी कि और फाइनल तक खेले। फाइनल की हार का दुःख बहुत ज्यादा है। 
इससे उबरने मैं वक्त लगेगा। खेल मैं हार जीत तो होती ही रहती है। अगर जीतते तो और अच्छा होता,लेकिन हार गए। लेकिन हम इतनी आसानी से नहीं हारे, हम लड़े और आखिर तक लड़े जब तक मैच खत्म नहीं हुआ। आखिर मैं उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा। लेकिन कोई बात नहीं आने वाली पीढ़ी हमारी अधूरी चाहत को पूरा करेगी। वो जीत कर लायेंगी विश्वकप।
18 साल से क्रिकेट खेल रही हूं, लेकिन ये पहली बार था जब लोग महिला क्रिकेट को देखने के लिए उत्साहित थे। लोगों ने महिलाओं की तुलना पुरुषों से करना शुरू कर दी, ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं आप सबसे अपील करती हूँ कि खेल को खेल की तरह से आनंद लीजिये महिलाओं की तुलना पुरुषों से न करें बल्कि इसको महिलाओं के नजरिये से देखें। 
टीम की प्रत्येक महिला स्टार 
परिस्थितियां बदलीं हैं महिलाएं भी स्टार हैं अब सब लोग नाम जानने लगे हैं। सब जानने लगे हैं ये कौन खिलाडी है टीम मैं क्या रोल है , बल्लेबाज है या गेंदबाज अब लोग सबको अलग अलग तरीके से जानने लगे हैं। भारतीय महिलाओं मैं मिताली सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज हैं।
खुद की पहचान कायम की 
पहले टीम के एक दो खिलाडियों को ही जाना जाता था, लेकिन विश्वकप के फाइनल मैं पहुँचने के बाद टीम के हर खिलाडी का नाम जानने लगे हैं ये सब टीम मैं शामिल लाडियों की वजह से ही हुआ है। मैं उनको धन्यवाद देती हूँ ,मैं आईसीसी को भी धन्यवाद देती हूं जिसने मैचों का प्रसारण किया और लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा दी,इसने बहुत बड़ा अंतर पैदा किया। लोग सीधे हमसे जुड़ सके हमारे नाम जान सके। 
सरकार सहायता बढाये 
मिताली ने महिलाओं को सुविधाएँ और मौके उपलब्द्ध कराने के लिए बीसीसीआई को भी धन्यवाद दिया इसी के साथ सरकार से सुविधाओं मैं वृद्धि की मांग की। 12 साल बाद विश्वकप के फाइनल मैं पहुंचना और वहां भी हार दिल तोड़ने वाली है । 2007 के बाद महिला टीम का प्रशासन बीसीसीआई द्वारा संभालने के बाद टीम की स्थिति मैं सुधार के लिए बीसीसीआई भी बधाई की पात्र है। 
पुरुषों से तुलना न करें
जिसके कारण हम विश्वस्तर पर खेलने के लायक हुए। मैं उम्मीद करती हूं कि महिला क्रिकेट का भविष्य अच्छा होगा। देश के लोग हमें हमारे नाम से जानेंगे। हमारी तुलना पुरुषों से नहीं की जाएगी।
मैं सरकर से मांग करती हूं कि महिला क्रिकेट को सपोर्ट करे क्रिकेट के सभी खेलों को सपोर्ट करे जिससे और अधिक प्रतिभायें निकल कर सामने आएँगी। जो देश को गर्व करने के मौके उपलब्द्ध कराएंगी।
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