WWC: कांटे के मुकाबले में भारतीय बेटियां हारीं, इंग्लैंड ने 9 रन से जीता मैच
भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और दूसरे ही ओवर में 3 रन के स्कोर पर पहला विकेट गिर गया। 1.4 ओवर में अन्या श्रब्सोल ने स्मृति मंधाना को बोल्ड करते हुए भारत को पहला झटका दिया।
मैच हार गईं लेकिन दिल जीत गईं भारत की बेटियाँ, हमें गर्व है अपने देश की वीरांगनाओं पर, देखें वीडियो-
मिला था 229 रन का लक्ष्य
मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड टीम ने नताली शिवर के 51 और सारा टेलर के 45 रन की मदद से निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट पर 228 रन का स्कोर बनाया। जवाब में लक्ष्य का पीछा कर रही भारतीय टीम 48.4 ओवर में 219 रन ही बना सकी। पूनम राउत (86) और हरमनप्रीत (51)ने अर्धशतकीय पारियां खेली। एक समय टीम का स्कोर तीन विकेट पर 191 रन था लेकिन इसके बाद शुरू हुई विकेटों की पतझड़ का दौर शुरू हो गया और टीम 219 रन बनाकर ढेर हो गई। भारतीय टीम ने आखिरी सात विकेट महज 28 रनों के अन्दर गंवा दिए।
ऐसे शुरू हुआ विकेटों का पतझड़
भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और दूसरे ही ओवर में 3 रन के स्कोर पर पहला विकेट गिर गया। 1.4 ओवर में अन्या श्रब्सोल ने स्मृति मंधाना को बोल्ड करते हुए भारत को पहला झटका दिया। वे अपना खाता भी नहीं खोल सकीं। इसके बाद कप्तान मिताली राज (17) का विकेट गिरा। वे 12.1 ओवर में दूसरे विकेट के रूप में रन आउट हो गईं। कैप्टन मिताली राज और पूनम राउत के बीच कॉल में कन्फ्यूजन हुआ, जिसका नुकसान मिताली के रनआउट के तौर पर झेलना पड़ा।
हरमन औऱ पूनम राउत ने जड़े अर्धशतक
तीसरा विकेट हरमनप्रीत कौर (51) का रहा। जो 33.3 ओवर में 138 के टीम के स्कोर पर एलेक्स हर्टले की बॉल पर ब्यूमोन्ट को कैच दे बैठीं। 42.4 ओवर में भारत का स्कोर 3 विकेट पर 191 रन था, लेकिन इसके बाद अगले 10 रन के अंदर भारत को चार विकेट गिर गए.पूनम राउत (86) के रूप में चौथा विकेट गिरा। 42.5 ओवर में उन्हें अन्या श्रब्सोल ने एलबीडब्लू कर दिया। 43.3 ओवर में 196 रन के स्कोर पर सुषमा वर्मा (0) को एलेक्स हार्टले ने बोल्ड करते हुए भारत का पांचवां विकेट गिराया। छठे विकेट के रूप में वेदा कृष्णमूर्ति (35) आउट हुईं। अन्या श्रब्सोल की बॉल पर वे नतालिया स्काइवर को कैच दे बैठीं।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर की टीम की सराहना
1983 में इसी मैदान पर कपिल देव ने रचा था इतिहास वर्ष 1983 में
कपिल देव की कप्तानी में जिस तरह पुरुष टीम ने आईसीसी विश्वकप खिताब जीत इतिहास रचा था उसे लार्ड्स के इसी मैदान पर दोहराने से अब देश की महिला क्रिकेट टीम बस एक कदम की दूरी पर है। साथ ही महिलाएं क्रिकेट विश्वकप में अपना वो इतिहास भी बदलने को बेकरार हैं, जो 2005 विश्वकप के फाइनल में उनकी हार से जुड़ा है।
दूसरी बार फाइनल में पहुंची थी भारतीय टीम
मिताली राज की कप्तानी वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने मात्र दूसरी ही बार आईसीसी विश्वकप के फाइनल में प्रवेश किया था। जहां उसके सामने रविवार को तीन बार की चैंपियन इंग्लैंड की टीम थी। भारत ने वर्ष 2005 में पहली बार विश्वकप फाइनल में जगह बनाई थी जहां वह ऑस्ट्रेलिया से हारकर उपविजेता रही थी। महिला टीम का यह टूर्नामेंट में सबसे अच्छा प्रदर्शन था लेकिन इस बार उससे एक कदम आगे बढ़कर पहली बार खिताब हासिल कर भारतीय महिला क्रिकेटर रचने का सपना लेकर फाइनल में पहुंची थीं।
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