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ग्वालियर

माफिया का हरियाली पर डंक

रेत माफिया की हिम्मत देखिए कि जिला मुख्यालय के एक हिस्से में रेत डंप करने के लिए माफिया ने हरे-भरे पेड़ कटवा डाले। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने इस ओर देखने की जहमत तक नहीं उठाई। ये रेत सिंध और दूसरी नदियों से लाकर डंप की जाती है। सबसे हैरत की बात ये है डंपिंग स्थान पूरी तरह शासकीय है।

ग्वालियरJul 30, 2017 / 07:35 pm

avdesh shrivastava

 Sand dump

Sand dump

ग्वालियर. रेत माफिया की हिम्मत देखिए कि जिला मुख्यालय के एक हिस्से में रेत डंप करने के लिए माफिया ने हरे-भरे पेड़ कटवा डाले। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने इस ओर देखने की जहमत तक नहीं उठाई। ये रेत सिंध और दूसरी नदियों से लाकर डंप की जाती है। सबसे हैरत की बात ये है डंपिंग स्थान पूरी तरह शासकीय है। बात शहर की निकटवर्ती तिघरा रोड की है। तिघरा रोड स्थित आसमानी माता मंदिर के समीप शासकीय जमीन पर इन दिनों रेत कारोबारियों द्वारा कब्जा किया जा रहा है। रेत का कारोबार करने वाले लोगों द्वारा रेत के डंप लगाए जाने के लिए शासकीय जमीन पर लहलहा रहे पेड़ों को भी नहीं बख्शा। इस संबंध में स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किया गया तो रेत कारोबारियों द्वारा दबंगई दिखाते हुए हथियारों के बल पर विरोध करने वालों को जान से मारने की धमकी तक दे डाली। जिसको लेकर स्थानीय लोगों द्वारा नगर निगम, फॉरेस्ट और मायनिंग विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
यहां बता दें कि तिघरा रोड पर गुप्तेश्वर मंदिर के ठीक सामने ही गिर्राज मंदिर और आसमानी माता का मंदिर बना हुआ है। ठीक उसके समीप ही शासकीय जमीन है जिसका कुछ हिस्सा नगर निगम और कुछ हिस्सा फॉरेस्ट विभाग के अंतर्गत आता है। शासकीय जमीन होने के कारण नगर निगम और फोरेस्ट विभाग द्वारा काफी समय पहले पेड़ लगवाए गए थे। जो बड़े हो चुके थे। वहीं शासकीय जमीन होने के कारण यहां के कुछ दबंगों द्वारा रेत का कारोबार करने के लिए रेत के डंप लगाए जाने को लेकर शासकीय जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। वहीं रेत डंप करने के दौरान शासकीय जमीन पर लगे पेड़ बाधित हो रहे थे। जिसको लेकर रेत कारोबारियों द्वारा करीब आधा सैकड़ा पेड़ों को कटवाकर नामो निशान तक मिटा दिया है। हालांकि पेड़ों की लकडिय़ां अभी तक शासकीय जमीन पर ही पड़ी है जिन्हें बेचे जाने की तैयारी की जा रही है। वहीं जिस तरह से उक्त कारोबारियों का कारोबार बढ़ता जा रहा है ठीक उसी तरह से कारोबारियों द्वारा मंदिर के समीप तक अन्य क्षेत्र में फैली शासकीय जमीन पर कब्जा किए जाने की तैयारी की जा रही है। क्योंकि उक्त कारोबारियों के खिलाफ अभी तक किसी के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई है। 

पार्किंग के उपयोग में आती है जगह
गुप्तेश्वर मंदिर और आसमानी माता मंदिर पर जब भी मेला भरता है, तो यहां पर आने वाले भक्तों के वाहनों को रखने के लिए उक्त शासकीय जमीन पर पार्किंग की व्यवस्था की जाती है। लेकिन रेत कारोबारियों द्वारा जिस तरह से शासकीय जमीन पर कब्जा किया जा रहा है तो आने वाले दिनों में पार्किंग के लिए भी जगह नहीं बचेगी। 

प्रतिबंध के बाद से बढ़ गया है डंप का काममानसून में रेत के उत्खनन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया गया है। जिससे कई घाटों पर रेत का उत्खनन बंद है। वर्तमान में निर्माण कार्य के लिए शहर में इन दिनों रेत की अधिक डिमांड बनी हुई है। इसी डिमांड के चलते रेत कारोबारियों द्वारा रेत का डंप किया जा रहा है। यही कारण है कि प्रतिबंध के बाद से रेत की डिमांड अधिक होने की बजह से रेत के डंप का कार्य अधिक बढ़ गया है। 
मिलीभगत से हो रहा है परिवहन तिघरा रोड से दिन के समय सैकड़ों की संख्या में रेत के वाहन निकलते है। रेत के इन वाहनों को स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से निकाला जाता है। आस-पास के ईलाकों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेत मंगवाई जाती है और उक्त स्थान पर रेत के बड़े-बड़े डंप लगाकर रेत को इकठ्ठा किया जाता है। इसके पश्चात दलालों के जरिए से ऑर्डर मिलने पर ट्रॉलियों में रेत भरकर निश्चित स्थान तक पहुंचाई जाती है। यह सब कुछ पुलिस के सामने होता है, लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

विवाद पर आमादा हो जाते हैं दबंग 
 रेत का कारोबार करने के लिए दबंगों द्वारा शासकीय जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने पेड़ भी कटवा दिए गए है, वहीं कुछ दिनों पहले लगवाए पौधे भी उखाड़कर फैंक दिए है। जिसका विरोध किया जाता है तो उक्त कारोबारी बंदूक लेकर धमकाने चले जाते है। इस संबंध में अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। 
मनीष मांझी- स्थानीय नागरिक 

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