ऐसे में अब हर व्यक्ति के दिमाग में ये सवाल उठना शुरु हो गया है कि वापस आने वाले इन नोटों का बैंक या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्या करेगी? एक ओर जहां ये सवाल पैदा हो रहा है कि क्या इन्हे रद्दी में बेच दिया जाएगा अथवा इनकी मदद सेे नए नोटों की छपाई की जाएगी? तो चलिए आज जानते हैं बेकार हो चुके इन नोटों का आरबीआइ क्या करती है।
क्या होता है इन बंद या बेकार हो चुके नोटों का
बताया जाता है कि, बंद हो गए या बेकार हो गए इन नोटों को बैंक पहले तो आरबीआइ के रीजनल ऑफिस भेजता है। जिसके बाद यहां से इन नोटों को जहां कभी-कभार गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए जला दिया जाता है, तो वहीं कुछ नोटों की जांच कर ये देखा जाता है कि कहीं ये नकली तो नहीं।
इस जांच के लिए खास प्रकार की मशीनों का उपयोग किया जाता है। जिसके बाद नोटों के मशीन के जरिये टुकड़े कर दिए जाते हैं। वहीं यदि नोटों कि लाइफ ठीक-ठाक है तो उन्हें रिसाइकिल करके इनसे ही नए सर्कुलेशन वाले नोट बना दिए जाते हैं। जबकि खराब नोटों को टुकड़े करने के बाद इनको इक_ा करके इनकी ईंट बना ली जाती है, साथ ही इन नोटों के टुकड़ों को फैक्ट्री में कार्डबोर्ड बनाने के लिए भी दे दिया जाता है।
200 रुपए के भाव से रद्दी में बिके थे नोट
यहां ये भी जान लें कि साल 2016 में हुई नोटबंदी के समय पुराने नोटों के निपटारे के लिए बैंकों ने नोट को आरबीआइ ऑफिस में जमा किया गया था। जिसके बाद नोटों का कचरा फैक्टरियों को रद्दी के भाव बेच दिया गया था।
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उस समय बंद किए गए नोटों की करीब 800 टन रद्दी फैक्ट्रियों को प्राप्त हुइ थी। जिसे कंपनी ने 200 रुपये टन के हिसाब से खरीदा था, यानि नोट की छपाई जितने की नहीं होती है उससे भी कम रेट में उसका कचरा फैक्ट्रियों को दिया जाता है।
एक नोट की छपाई का हिसाब ऐसे समझें
ज्ञात हो कि एक 2000 के नोट की छपाई में करीब 4 रुपये का खर्च आता था। आरबीआइ ने 2000 के नोटों का सर्कुलेशन बंद कर दिया है, जिसके बाद अब इनकी छपाई में पैसे नहीं खर्च होगा, वहीं, 500 रुपये के नोट की छपाई 1 रुपये सस्ते में हो जाती है। भले ही, नोटों के सर्कुलेशन बंद होने व इनके बैंकों में पहुंचने के बाद इनकी लागत कम होती जाती है, ऐसे में अब सिर्फ इनके रिसाइक्लिंग प्रोसेस पर ही खर्चा होता है।