मृत्युभोज, दहेज व शराबंदी के बाद चंबल की छवि सुधारेंगे संत
मृत्युभोज, दहेज और शराबबंदी की सफल मुहिम के सूत्रधार रहे संत हरगिरि ने अब चंबल की छवि सुधारने की मुहिम शुरू की है।
कन्या का नामकरण कर पैर पूजन करते संत।
रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. मृत्युभोज, दहेज और शराबबंदी की सफल मुहिम के सूत्रधार रहे संत हरगिरि ने अब चंबल की छवि सुधारने की मुहिम शुरू की है। चंबल के समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व का बखान कर वे अब बेटियों का नाम चंबल देवी और चरणावती रखने का अभियान चलाएंगे। गुप्त नवरात्र में चंबल तट पर बसे ग्राम मोरोली की एक कन्या का चंबल देवी रखकर नई पहल की शुभारंभ किया।
मोरोली में मुंशी सिंह की पौत्री और बंटी सिंह बेटी का नामकरण चंबल के नाम से करने के साथ ही संत ने लोगों से कहा कि वे अन्य बेटियों का नाम भी चंबल रखें। लोग गंगा, युमना, गोदावरी, पार्वती, नर्मदा, सरस्वती, क्षिप्रा, सरयू, गोमती आदि नदियों के नाम पर तो बेटियों का नामकरण करते हैं, लेकिन चंबल को अभिशप्त मानते हैं। जबकि चंबल का समृद्ध पौराणिक इतिहास है। महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है। श्रीराम, जय राम, जय-जयराम के संकीर्तन के साथ संत ने कहा कि परंपराएं और रीति-रिवाज चलते रहते हैं। पुराणों में 22 गंगा का जिक्र है और इनमें चंबल का नाम भी शुमार है। आज से चंबल नाम न रखने की कुप्रथा को तोड़ते हुए बेटियों का नामकरण नए सिरे से किया जाएगा। चंबल नदी, गंगा-यमुना को पवित्र करने वाली है। युमना के पानी में तो हाथ भी डालने का मन भी नहीं करता, नहाना तो दूर।
फिल्मों ने किया चंबल का नाम खराब
संत हरिगिरि ने कहा कि चंबल की छवि को फिल्म वालों ने बिगाड़ा है। इसका सांस्कृति, धार्मिक व ऐतिहासिक पहलू है, लेकिन इसे विकृत करके दिखाया है। राजनेता भी इस क्षेत्र को असभ्य मानते हैं। इस चंबल की धरा को नमन करके स्वयं को पवित्र मानें। यहां की पारिस्थिकी जलीय जीवों, पेड़-पौधों के लिए वरदान हैं। प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है। यहां अनेक अभयारण्य हैं। चंबल से देश के लिए सर्वाधिक शहीद हैं, इसके बावजूद हमारी छवि डकैत और गुंडों की बना दी गई है। उन्होंने नारा दिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और चंबल नाम धराओ।
सोशल मीडिया पर भी अभियान शुरू
बॉलीवुड फिल्मों से बदलनाम हुई चंबल की ऐसी छवि को सुधारने के लिए सोशल मीडिया पर भी मुहिम शुरू की गई है। समाजसेवी डॉ योगेंद्र सिंह मावई का कहना है कि सैनिकों की बहादुरी, ककनमठ, मितावली, पढ़ावली, बटेश्वर, सबलगढ़ किला, पहाडग़ढ़ में महाभारत कालीन लिखीछाज के भित्तिचित्रों, घडिय़ाल, लाल कछुआ, डॉलफिन, गजक, सरसों, दूध उत्पादकता को उभारा जा सकता है। इसलिए अब यहां के वास्तविक स्वरूप को विकृत करके दिखाने वाली फिल्मों की शूटिंग का विरोध किया जाएगा।
Hindi News/ Morena / मृत्युभोज, दहेज व शराबंदी के बाद चंबल की छवि सुधारेंगे संत