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फिर जीवंत हुआ राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी का मुद्दा

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के एक तिहाई पद खाली होने का मुद्दा एक बार फिर उठने लगा है। विधिवेत्ताओं का कहना है कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने न्याय व्यवस्था के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआइ) जरूरी होने व एआइ के मानव मस्तिष्क का विकल्प नहीं होने की बात कही, जो […]

जयपुरApr 29, 2024 / 11:42 pm

Amit Pareek

high court

राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के एक तिहाई पद खाली होने का मुद्दा एक बार फिर उठने लगा है। विधिवेत्ताओं का कहना है कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने न्याय व्यवस्था के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआइ) जरूरी होने व एआइ के मानव मस्तिष्क का विकल्प नहीं होने की बात कही, जो एक तरह से हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के खाली पदों को प्राथमिकता से भरने की वकीलों की मांग का समर्थन है।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के समारोह में यह बोले न्यायाधीश

आज न्याय व्यवस्था के लिए एआइ जरूरी है, लेकिन सिर्फ एआइ से न्याय नहीं मिल सकता। एक अमीर व्यक्ति द्वारा की गई चाेरी और भूखे व्यक्ति द्वारा खाने की चोरी को एक नजरिये से नहीं देख सकते। खाने की चोरी के लिए अधिकतम सजा से दंडित नहीं किया जा सकता, लेकिन एआइ के लिए सब समान है। एआइ फाइंडिंग दे सकती है, परन्तु वह मानव मस्तिष्क का स्थान नहीं ले सकता।
– न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट

आज देश में अधीनस्थ अदालतों में करीब 4 करोड और हाईकोर्ट स्तर पर 65 लाख मामले लंबित हैं। बिना गुणवत्ता कम किए इनका जल्दी निस्तारण करना एक चुनौती है।
– न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव, मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट

यह बोले विधिवेत्ता

– न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा का एआइ और न्यायपालिका को लेकर कथन एकदम सही है और राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के खाली पद भरने की हमारी मांग का एक तरह से समर्थन है, इस मांग से सीजेआइ व कानून मंत्री को भी हम अवगत करा चुके।
-प्रहलाद शर्मा, अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर

– न्यायाधीश मिश्रा ने एक तरह से खाली पद भरने की हमारी मांग का समर्थन किया। यहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत है उसका उपयोग किया जाना चाहिए।
-कपिल प्रकाश माथुर, उपाध्यक्ष, राजस्थान बार कौंसिल

एक तरह से न्यायाधीश मिश्रा ने मान लिया कि खाली पद तो प्राथमिकता से भरने ही होंगे। मेरे 1993-94 में पेश किए गए मामलों पर अब सुनवाई हो रही है, इनमें से आधे में तो पक्षकार ही जिंदा नहीं हैं अब उन्हें क्या न्याय मिलेगा। यहां हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के 50 पद कभी पूरे नहीं भरे गए और अब तो ये पद भी कम हैं।
-डॉ. पी सी जैन, कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान बार फैडरेशन

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