अहमदाबाद. पिछले कुछ महीनों से आरक्षण के लिए जारी पाटीदारों के आंदोलन के बीच राज्य सरकार ने राज्य के आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग के लोगों (ईबीसी) को 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण देने का शुक्रवार को ऐतिहासिक निर्णय किया है। यह लाभ छह लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले सवर्णों के बच्चों को शिक्षा व नौकरी में दिया जाएगा।
यह निर्णय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में गांधीनगर स्थित प्रदेश कार्यालय में पार्टी की कोर कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित थीं। ईबीसी को 10 फीसदी आरक्षण के चलते राज्य सरकार की मौजूदा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कुल 49 फीसदी के आरक्षण में कोई कमी नहीं आएगी।
1 मई को जारी होगा अध्यादेश : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपाणी ने भाजपा प्रदेश मुख्यालय श्री कमलम् में शुक्रवार सुबह आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य के स्थापना दिवस पर आगामी 1 मई को इस संबंध में अध्यादेश जारी किया जाएगा।
यह लाभ इसी वर्ष से मिलेगा, इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि इससे कोई कानूनी समस्या पैदा न हो। जरूरत पडऩे पर उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में भी पक्ष रखा जाएगा। राज्य सरकार ने कहा है कि इससे मौजूदा मुख्यमंत्री युवा स्वावलंबन योजना का क्रियान्वयन भी जारी रहेगा। सरकार सभी जाति और वर्ग के लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हार्दिक के संगठन ने कहा ईबीसी स्वीकार नहीं
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के संगठन पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) ने कहा कि ईबीसी के लिए 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा स्वीकार्य नहीं है। पास के संयोजक ललित वसोया ने कहा कि वे गुजरात सरकार की ओर से आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए जारी किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण (ईबीसी) का सख्त विरोध करते हैं, पास को यह बात स्वीकार नहीं है।
पाटीदारों ने राज्य सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने की मांग की है। यदि ऐसा नहीं करना है तो राजस्थान व हरियाणा की तर्ज पर स्पेशल बैकवर्ड क्लास (एसबीसी) के तहत आरक्षण दिया जाए। राज्य सरकार को यह घोषणा पाटीदारों के आंदोलन के चलते करनी पड़ी है, यह पाटीदारों की जीत है लेकिन पाटीदारों की मूल मांग राज्य सरकार को स्वीकारनी ही पड़ेगी।
गैर आरक्षित जातियों के लिए आरक्षण का निर्णय : सीएम
मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने गुजरात चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) की ओर से शुक्रवार से गांधीनगर में आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में घोषणा की कि राज्य सरकार ने गैर आरक्षित जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का निर्णय लिया है। इसके चलते एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षण के कोटे में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। बाद में उन्होंने ट्वीटर पर भी इस ऐतिहासिक निर्णय की जानकारी दी।
कैबिनेट ने लगाई मुहर
प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी में लिए गए आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के निर्णय पर शुक्रवार रात कैबिनेट की मुहर भी लग गई। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मुख्य सचिव जी आर अलोरिया की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया गया जिसे मंजूरी दे दी गई।बैठक के बाद प्रवक्ता मंत्री नितिन पटेल ने बताया कि अब इस निर्णय को विधेयक के रूप में मंजूरी के लिए राज्यपाल के समक्ष भेजा जाएगा। राज्यपाल से मंजूरी के बाद इस संबंध में अध्यादेश जारी किया जाएगा।
ईबीसी के लिए 20 फीसदी आरक्षण हो-वाघेला
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला ने कहा कि आरक्षण के लिए आंदोलन करने वालों के दबाव में आकर दस फीसदी आरक्षण देने की राज्य की भाजपा सरकार की घोषणा गुमराह करने वाली है, यह लॉलीपॉप की तरह है। ईबीसी को आरक्षण के लिए छह लाख रुपए की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर बारह लाख रुपए करनी चाहिए और इन्हें दस फीसदी के बजाय बीस फीसदी आरक्षण की घोषणा करनी चाहिए।
सीएम ने पाटीदारों से कहा, अब व्यापार-धंधे में लग जाएं
राज्य सरकार की ओर से राज्य के आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण दिए जाने की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार देर शाम को पाटीदार नेताओं के साथ बैठक की।
शहर स्थित सर्किट हाउस में बैठक के बाद सीएम ने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के मार्गदर्शन के बाद पार्टी की ओर से यह निर्णय लिया गया है। कैबिनेट में भी इसे पारित किया जाएगा, इस तरह अब कोई प्रश्न नहीं रह जाता है।