आरोपों को सिद्ध करें याचिकाकर्ता
गुजरात उच्च न्यायालय ने
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
अहमदाबाद।गुजरात उच्च न्यायालय ने पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर याचिकाकर्ता से आरोपों को सिद्ध करने को कहा है। इस संबंध में याचिकाकर्ता को लघु हलफनामा पेश करना होगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने हार्दिक का अपहरणकर उसे गिरफ्तार किया है।
न्यायाधीश एमआर शाह व न्यायाधीश केजे ठाकर की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार व याचिकाकर्ता से कहा कि एक-दूसरे पर आरोपों व प्रत्यारोपों से स्थिति और बिगड़ सकती है। इससे किसी का भला नहीं होने वाला है।
अदालत किसी को दंडित नहीं करना चाहती बल्कि अदालत संतुलन बनाना चाहती है। समाज के व्यापक हित को देखते हुए सौहार्दपूर्ण माहौल में निपटारा चाहती है। मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
पिछली सुनवाई के दौरान कड़ा रूख अपनाने वाली इस खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान थोड़ा नरम रूख अपनाया और कहा कि अदालत किसी भी निर्दोष को दंडित नहीं करना चाहती।
इससे पहले खचाखच भरी अदालत में सुनवाई आरंभ होने के समय याचिकाकर्ता के वकील बाबू मांगूकिया ने हलफनामा पेश किया लेकिन इसे वापस ले लिया गया।
दोनों के पक्षों के वकीलों के तर्क
उधर राज्य सरकार की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने पुलिस पर अपहरण का आरोप लगाया है, जो पूरी तरह गलत है। इस मामले में सच्चाई का पता लगाना चाहिए। इसलिए इस मामले को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के लगाए गए आरोप से प्रशासन का मनोबल गिरता है।
इस पर मांगूकिया ने कहा कि यह याचिका गत सप्ताह मध्य रात्रि के बाद इसलिए दायर की गई क्योंकि आम लोगों में कोई गलत संदेश नहीं फैले और हार्दिक सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि अब जब बंदी (हार्दिक) हाजिर हो चुका है तो इस याचिका को वापस लेने की मंजूरी दी जाए।
समाजोपयोगी हित में लें सेवा!
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश शाह ने हल्के-फूल्के अंदाज में याचिकाकर्ता के वकील मांगूकिया व राज्य सरकार के महाधिवक्ता से कहा कि हार्दिक की सेवा समाज के लिए उपयोगी हित में लेनी चाहिए। इसके तहत स्वच्छ भारत अभियान या रक्तदान जैसे कार्यक्रम हो सकते हैं। हार्दिक की अपील से काफी संख्या में लोग इन अभियानों से जुड़ सकते हैं।
हाई कोर्ट मेंं सख्त पहरा
हार्दिक की पेशी को देखते हुए उच्च न्यायालय परिसर के आस-पास पुलिस का सख्त पहरा था। पाटीदार समाज के कार्यकर्ताओं के सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित होने की संभावना को देखते हुए राज्य पुलिस के साथ-साथ आरएएफ को भी तैनात कर दिया गया था।