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मंगलयान के आंकड़े रोचक, महत्वपूर्ण

locationबैंगलोरPublished: Oct 06, 2015 09:14:00 pm

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जो शोध पत्र 2011 में तैयार किया था उसकी
पुष्टि अब की है। उन्होंने कहा कि इसरो ने मंगलयान से प्राप्त आंकड़ों को
शोध के लिए सुलभ कर दिया है। अनुसंधान से जुड़ा वैज्ञानिक समुदाय इन
आंकड़ों को आसानी से प्राप्त कर सकता है

 Mangalyaan figures interesting, important

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बेंगलूरु. देश की पहली अंतरग्रहीय यात्रा पर निकले भारतीय उपग्रह मंगलयान द्वारा भेजे गए आंकड़े रोचक एवं महत्वपूर्ण हैं मगर कुछ निष्कर्ष निकालने और उसकी पुष्टि करने के लिए और शोध एवं विश्लेषण की आवश्यकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि आंकड़ों में छिपे रहस्य का विश्लेषण के बाद ही पता चलेगा।
वैज्ञानिक मंगलयान के सभी पांच पे-लोड से प्राप्त आंकड़ों पर स्वतंत्र रूप से अनुसंधान कर सकते हैं
उन्होंने कहा कि आंकड़ों को ठोस निष्कर्ष में तब्दील करने के लिए काफी अतिरिक्त काम करने होंगे और इसमें समय लगेगा। उदाहरण के तौर पर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जो शोध पत्र 2011 में तैयार किया था उसकी पुष्टि अब की है। उन्होंने कहा कि इसरो ने मंगलयान से प्राप्त आंकड़ों को शोध के लिए सुलभ कर दिया है। अनुसंधान से जुड़ा वैज्ञानिक समुदाय इन आंकड़ों को आसानी से प्राप्त कर सकता है और उसपर शोध कर सकता है। आंकड़ों को इस्तेमाल करने की समय सीमा भी बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दी है। वैज्ञानिक मंगलयान के सभी पांच पे-लोड से प्राप्त आंकड़ों पर स्वतंत्र रूप से अनुसंधान कर सकते हैं।
मंगल पर पानी की मौजूदगी के बारे में इसरो अध्यक्ष ने कहा कि पानी की मौजूदगी का पता लगाने के लिए हमारे उपकरण पर्याप्त नहीं हैं। मंगलयान में मौजूद केवल स्पेक्ट्रोमीटर से ही कुछ उम्मीदें की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मंगल की कक्षा में मंगलयान न्यूनतम 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहा है और यह दूरी बहुत ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि जब अभियान खत्म होगा उस वक्त हम मंगल ग्रह की सतह या उसके करीब पहुंचेंगे। उसी समय हो सकता है कि कुछ अलग परिणाम मिल जाए। अन्यथा जिस तरह के उपकरण हमारे मंगलयान में हैं, वे आविष्कारों के दृष्टिकोण से एक छोटा प्रयास हैं। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इसकी तुलना में काफी आगे है।
गौरतलब है कि भारत ने मंगलयान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को किया था और 24 सितंबर 2014 को उसने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया। मंगल की कक्षा में परिक्रमा करते हुए मंगलयान ने एक साल पूरा कर लिया है। (कासं)




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