केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने
कहा कि मधुमेह, कैंसर और अन्य खतरनाक बीमारियों के मरीजों को कम कीमत पर
अच्छी दवाइयाँ उपलब्ध कराकर
बेंगलूरु. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मधुमेह, कैंसर और अन्य खतरनाक बीमारियों के मरीजों को कम कीमत पर अच्छी दवाइयाँ उपलब्ध कराकर उनके जीवन में नई उम्मीद की किरण जगाने की जरूरत है।
उन्होंने बेंगलूरु में मंगलवार को तीन दिवसीय बेंगलूरु इंडिया बायो-2016 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि चिकित्सा क्षेत्र को जैव प्रौद्योगिकी से अच्छा सहयोग मिल रहा है। कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए दवाइयां बनाने की जिम्मेदारी विज्ञानियों, इंजीनियरों और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की है। उन्होंने कहा कि इसमें गंभीर और जानलेवा बीमारियों की सस्ती दवाइयाँ बनाने की भरपूर संभावनाएं हैं। इसके लिए अधिक अनुंसधान की जरूरत है और केंद्र सरकार इसमें पूरा सहयोग व आर्थिक सहायता करने को तैयार है। उन्होंने जानकारों से इसके लिए सुझाव देने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का अर्थ आज का भारत और जैव प्रौद्योगिकी का अर्थ भविष्य का भारत है। अब जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान का नारा भी शामिल हो रहा है। आने वाले दिनों में भारत सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी में अपनी अलग पहचान बनाएगा। इसमें बेंंगलूरु की प्रमुख भूमिका रहेगी।
उन्होंने कहा कि पुराने कानून में परिवर्तन कर इसे सरल बनाने की मांग कई दिनों से जारी है। 1500 पुराने कानून खत्म कर नए कानून बनाने के लिए केंद्र आवश्यक कदम उठा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को प्रोत्साहन देेने के जरिए 100 कंपनियां को निवेश की मंजूरी दी गई है। अगले दो सालो में 500 नईकंपनियां खुलने की संभावना है।
राज्य के सूचना एवं मूलभूत ढांचागत विकास मंत्री आर.रोशन बेग ने कहा कि कर्नाटक ने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काफी सफलता प्राप्त की है।
देश में जितनी जैव प्रौद्योगिकी की कंपनियां है, उनमें पचास प्रतिशत कंपनियां बैंगलूरु में हैं। यह प्रदेश के नागरिकों के लिए गर्व की बात है। सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्व की टॉप 10 कंपनियों में से 5 बेंगलूरु में हैं। सरकार स्टार्टअप नीति जारी करेगी। जिससे साल 2020 तक 18 लाख रोजगार उपलब्ध होंगे।
बायोकॉन कंपनी और कर्नाटक विजन ग्रुप की चेयरपर्सन और प्रबंधन निदेशक डॉ.किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि आईटी-बीटी क्षेत्र में भारत ने पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। प्रदेश में सबसे अधिक मानव संसाधन के अवसर हैं। प्रदेश में हर साल 15 हजार छात्र जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्नाकोत्तर और उपाधि प्राप्त कर रहे है। उनमें 80 प्रतिशत को रोजगार मिला है। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 11 बिलियन डॉलर का कारोबार हो रहा है। साल 2025 तक यह बढ़कर 100 बिलियन डॉलर हो जाएगा। विश्व की तीन प्रसिद्ध दवाइयों में से एक दवाई भारत में बनाई जा रही है।
इस अवसर पर सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख सचिव वी.मंजुला, सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव विजय राघवन और बेंगलूरु में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त डॉमिनिक मॅकएलिस्टर उपस्थित थे।