बेंगलूरु. नागरिक सुविधाओं से जुड़े विकास कार्यों में अकारण देरी के कारण कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को जमकर लताड़ लगाई। हाईकोर्ट ने नगरीय निकाय को सख्त लहजे में चेतावनी दी है।
विभिन्न जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए एकल पीठ के न्यायाधीश वेणुगोपाल गौड़ा ने अदालत में मौजूद पालिका आयुक्त एन.मंजुनाथ प्रसाद को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि पूर्व में भी ऐसी शिकायतें कई बार आई हैं लेकिन पालिका सार्वजनिक हित से जुड़े विकास कार्यों में देरी का कोई जायज कारण बताने में असफल रहा है। अदालत ने इस रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया और कहा कि पूरी सूचनाएं अदालत के सामने क्यों नहीं रखी जा रहीं?
पालिका के अधिवक्ता ने यह कह कर बचाव करने की कोशिश की कि कई मामलों में नागरिकों ने अदालत से स्थगनादेश ले रखा है इसलिए निर्माण कार्यों में विलंब हो रहा है। इस पर न्यायाधीश ने पूछा कि क्या पालिका के पास ऐसे निर्माण कार्यों की कोई सूची है? क्या उन्होंने अदालत को इसकी सूचना दी है? लेकिन पालिका के अधिकारी अदालत के सामने ऐसी कोई सूची पेश करने में नाकाम रहे।
इस टालमटोल से नाराज न्यायाधीश ने कहा कि पालिका के वकील कई बार महत्वपूर्ण मौकों पर सुनवाई के समय अनुपस्थित रहते हैं। यह बेहद आपत्तिजनक रवैया है और सुनवाई में शामिल नहीं होने या पूरी जानकारी पेश नहीं करने के कारण ही अदालत उनके खिलाफ स्थगनादेश देती है।
उन्होंने पालिका को सभी स्थगनादेश से संबंधित मामलों की सूची के साथ अदालत में पेश होने के निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि सड़क निर्माण, नाली, फुटपाथ या अन्य ऐसे ही सार्वजनिक कार्यों के अलावा मरम्मत आदि से संबंधित अधूरे कामों को जल्द पूरा कराने और नए कार्यों में हो रहे विलंब के खिलाफ कई संगठनों और नागरिकों की ओर से अदालत में याचिकाएं दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ऐसी तमाम याचिकाओं पर सामूहिक सुनवाई कर रहा है।