scriptमातम में बदली चंद दिनों की खुशियां | Temporary enjoyment of change in the weeds | Patrika News
बैंगलोर

मातम में बदली चंद दिनों की खुशियां

बर्फ की मोटी दीवारों में दबकर भी नौ दिनों तक
जिंदगी की लौ जलाए रखने वाले अदम्य साहसी योद्धा हनुमंतप्पा के रुखसत होते
ही बेट्टदुर गांव शोक में डूब गया

बैंगलोरFeb 11, 2016 / 11:26 pm

शंकर शर्मा

bangalore photo

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बेंगलूरु/ हुब्बली. बर्फ की मोटी दीवारों में दबकर भी नौ दिनों तक जिंदगी की लौ जलाए रखने वाले अदम्य साहसी योद्धा हनुमंतप्पा के रुखसत होते ही बेट्टदुर गांव शोक में डूब गया। दुर्गम बर्फीली चट्टानों में मौत को मात देने वाला आखिरकार जिंदगी की जंग हार गया। हनुमंतप्पा के निधन की खबर उस वक्त आई जब राज्य ही नहीं देश भर की मंदिरों में घंटियां बज रही थीं लोग प्रार्थना कर रहे थे और सर्वशक्तिमान से उनकी जिंदगी मांग रहे थे। मगर उनकी प्रार्थनाएं कबूल नहीं हुई। तीन दिन पहले ही खुशियां देने वाला आज रुला गया।

किनारे पर डूबी कश्ती
दो दिन पहले ही इस गांव में जश्न का माहौल था। रिश्तेदार, परिजन, गांव के लोग सभी हनुमंतप्पा के शानदार स्वागत की तैयारी में जुटे थे। एक शूरवीर की तरह उसका स्वागत किया जाना था। लोगों को विश्वास था कि जो योद्धा छह दिन तक बर्फ की दीवारों में दबे होने के बावजूद मौत को मात दे सकता है वह उन्नत चिकित्सा के सहारे जरूर जी जाएगा। उन्हें यकीन था कि…अगर सांसों की डोर टूटनी होती… तो टूट गई होती…मगर अब तो कश्ती किनारे पर है। मगर उन्हें क्या पता था कि कश्ती किनारे पर ही डूब जाएगी। सुबह 11.45 बजे का सेना के दिल्ली आर.आर. अस्पताल से हेल्थ बुलेटिन आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई वहीं बेट्टदुर गांव में मातम छा गया। हनुमंतप्पा के भाई गोविंदप्पा अधीर हो गए।

काम न आई दुआएं
हनुमंतप्पा के घर के समीप बड़ी संख्या में उनके परिजन,दोस्त और अन्य लोग पहुंचे। हालांकि उनका परिवार वहां नहीं था मगर उनके निधन की खबर सुनने के बाद परिजन ,दोस्त और अन्य लोग रो पड़े। उनके बचपन के एक दोस्त ने कहा, ‘उनके जीवन को लेकर पिछले सप्ताह से ग्रामीण लगातार प्रार्थना कर रहे थे। हमारी प्रार्थनाएं असफल साबित हुईं। हमने एक बेहतरीन दोस्त खो दिया। भारत के सच्चे पुत्र पर हमें नाज है।

वादा किया था जल्द आऊंगा…
हनुमंतप्पा के जानने वालों के लिए वह हमेशा ही एक योद्धा रहे। दोस्त और रिश्तेदार उन्हें सख्त लेकिन मृदुभाषी शख्स बताते हैं। हनुमंतप्पा के जाने के बाद उनके पीछे पत्नी और 18 महीने की बेटी है। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने परिवार से हिमस्खलन के ठीक एक दिन पहले बात की थी। उन्होंने छुट्टियों में घर आने का वादा किया भी किया था। मगर परिवार को क्या पता था कि वह अब कभी लौटकर नहीं आ पाएगा।

मां तथा बेटी पर जान न्योछावर
हनुमंतप्पा सेना में भर्ती हुए 14 वर्ष बीतने का बावजूद दो-तीन दिन में एक बार घर पर फोन करना नहीं भूलता था। विवाह से पूर्व मां से जो प्रेम था उसमें विवाह के बाद भी कोई कमी नहीं आई।

मां के प्रति अपार सम्मान किया करता था। जब भी फोन करता अव्वा (मां) तुम्हारी सेहत कैसी है। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दो कहकर मां का हालचाल जानता और चिंता करता था। लापता होने के एक दिन पूर्व मां को फोन कर स्वास्थ्य के बारे में पूछा था। साथ ही अपनी बेटी के स्वास्थ्य के बारे में पूछा था परन्तु अगले ही दिन हनुमंतप्पा की हिम स्खलन में दबने से मृत्यु होने का समाचार सुनते ही मानो जैसे परिवार पर बिजली गिर गई।

हनुमंतप्पा के जीवित होने का समाचार सुनकर खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी परन्तु यह खुशी अधिक देर तक नहीं रही। हनुमंतप्पा को खोने से पूरा परिवार एक बार फिर से शोक में डूब गया है। 10 जून 1082 को जन्मे हनुमंतप्पा बचपन से गरीबी की साए में पले-बढ़े। इसी बीच पढ़ाई कर सेना में भर्ती होने के साथ देश सेवा की अपनी इच्छा को पूरा किया। (कासं)

नेताओं ने जताया शोक
लांस नायक हनुमंतप्पा कोप्पद के निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए शहीद जवान के परिवार को हरसंभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद प्रहलाद जोशी ने केंद्र तथा राज्य सरकार से शहीद के परिजनों को मदद दिलाने का आश्वासन दिया है।

गृहमंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डॉ. जी. परमेश्वर ने कहा कि इस शहीद जो जज्बा दिखाया वह असाधारण है।

जिला प्रभारी मंत्री विनय कुलकर्णी ने कहा कि हनुमंतप्पा कोप्पद की मृत्यु की खबर सुनकर बहुत दु:ख हुआ है। जो छह दिनों तक बर्फ में दबने के बाद भी जीवित रहा उसके स्वास्थ्य होने की हमें बहुत उम्मीद थी। कुदरत के आगे किसकी चलती है। हनुमंतप्पा की मृत्यु से भारत ने एक योध्दा को खोया है। हनुमंतप्पा के परिवार को हर प्रकार की मदद दी जाएगी।
केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि देश के सपूत हनुमंतप्पा अंतिम क्षणों तक संघर्ष करते रहे। ऐसी स्थिति में उनके परिजनों पर क्या बीती होगी, इसकी कल्पना करना भी असंभव है।

पूर्व मुख्यमंत्री विधानसभा में विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टर ने हनुमंतप्पा को वीर योद्धा करार देते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए कर्नाटक के इस पूत्र ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। राज्य सरकार को मृतक हनुमंतप्पा के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने समेत परिवार के किसी सदस्य को रोजगार देना चाहिए।

प्रदेश जनता दल (ध) इकाई के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने हनुमंतप्पा के परिजनों की व्यक्तिगत रूप से सहायता करने की घोषणा की है।

केएसआरटीसी ने जताया शोक
कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक डॉ.राजेन्द्र कुमार कटारिया ने कहा कि सेना के इस वीर की शहादत पर केएसआरटीसी परिवार शोक संवेदना व्यक्त करता है। उन्होंने ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की और कहा कि इस कठिन घड़ी में ईश्वर इनके परिवार को सहनशक्ति प्रदान करे।
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