script23 वर्षीय यदुवीर बने 27 वें ‘महाराजा’ | Yadubeer The New King of Mysuru | Patrika News
बैंगलोर

23 वर्षीय यदुवीर बने 27 वें ‘महाराजा’

सिद्धरामय्या ने कहा कि शाही
परिवार के निजी कार्यक्रम में शामिल होने से महत्वपूर्ण उनके लिए
सरकारी बैठकों में शामिल होना था

बैंगलोरMay 28, 2015 / 10:29 pm

मंजूर अहमद

Masuru King, Yudubeer-The King of Masuru

During the coronation of new Masuru King Yuduvir

मैसूरु.पूर्ववर्ती मैसूरु शाही परिवार को युदवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार के तौर पर गुरुवार को नया उत्तराधिकारी मिला। करीब 600 वर्षों तक पूर्ववर्ती मैसूरु रियासत पर शासन करने वाले वाडियार परिवार में 23 वर्षीय यदुवीर 27 वें ‘महाराजा हैं। गुरुवार सुबह शहर के अम्बा विलास पैलेस के कल्याण मंडप में आयोजित निजी समारोह में परंपरागत रीति-रिवाज से यदुवीर का सांकेतिक राज्याभिषेक हुआ। कड़ी सुरक्षा के बीच हुए राज्याभिषेक के मौके पर पूर्व शाही परिवार के सदस्यों के अलावा देश-विदेश से आमंत्रित एक हजार से अधिक अतिथि भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या कार्यक्रम मेंं नहीं हुए शामिल
कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, प्रदेश के गृह मंत्री के.जे. जार्ज, सूचना मंत्री आर रोशन बेग, ऊर्जा मंत्री डी के शिवकुमार, उच्च शिक्षा मंत्री आर वी देशपांडे, राजस्व मंत्री वी श्रीनिवास प्रसाद, पूर्व क्रिकेटर बृजेश पटेल, अनिल कुंबले, विधायक एन ए हैरिस, लोकायुक्त भास्कर राव भी मौजूद थे। हालांकि, पूर्व मैसूरु रियासत के क्षेत्र से आने वाले मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या कार्यक्रम मेंं शामिल नहीं हुए। बाद में बेंंगलूरु में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मैसूरु में पूर्व शाही परिवार के निजी कार्यक्रम में शामिल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके लिए सरकारी बैठकों में शामिल होना था। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर परिवार सहित शामिल हुए।
कन्नड़ में ली शपथ
क्रीम रंग के परंपरागत रेशमी पोशाक पहने यदुवीर ने शाही हरे रंग की पगड़ी बांध रखी थी। चश्मा पहने यदुवीर ने कन्नड़ में शपथ ली। वर्ष 1399 में राजा वाडियार द्वारा स्थापित पूर्व शाही परिवार केे नए उत्तराधिकारी राज्याभिषेक के बाद भद्रासन कहे जाने वाले चांदी के सिंहासन पर बैठे।

यदुवीर श्रीकंठ दत्ता की बहन गायत्री देवी के नाती हैं
चांदी के इस सिंहासन को 41 साल बाद निकाला गया था। पूर्व शाही परिवार में पिछला राज्याभिषेक 16 अक्टूबर 1974 को हुआ था तब वे इस सिंहासन पर बैठे थे। उस वक्त श्रीकंठ दत्त नरसिम्ह राजा वाडियार ने वाडियार राजवंश के आखिरी शासक जयचामराजेंद्र वाडियार के निधन के बाद 21 साल की उम्र में परिवार के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी। श्रीकंठ दत्ता अपने पिता के इकलौते पुत्र थे। जयचामराजेंद्र वाडियार ने 1940 से 1947 में भारत की आजादी तक मैसूरु रियासत पर शासन किया। आजादी के बाद उन्होंने अपनी रियासत का भारत संघ में विलय कर दिया था। हालांकि, संविधान लागू होने तक वह राज्य प्रमुख बने रहे। श्रीकंठ दत्त का निधन दिसम्बर 2013 हो गया था और तब से सांकेतिक ‘महाराजा का पद खाली था। श्रीकंठ दत्ता को संतान नहीं था जिसके कारण उनकी प्रमोदा देवी ने फरवरी में यदुवीर को गोद लिया था। यदुवीर श्रीकंठ दत्ता की बहन गायत्री देवी के नाती हैं।

दशहरा में बैठेंगे स्वर्ण सिंहासन पर
स्वर्ण सिंहासन अब दशहरा महोत्सव के दौरान ही जनता के दर्शन के लिए रखा जाता है और उसी दौरान आयोजित होने वाले निजी दरबार में सांकेतिक ‘महाराजाÓ उस पर बैठते हैं। यदुवीर भी अक्टूबर में होने वाले दशहरा महोत्सव में स्वर्ण सिंहासन पर बैठेंगे यदुवीर अब परिवार की गतिविधियों के अलावा हर साल दशहरा महोत्सव के दौरान आयोजित होने वाले निजी दरबार में भी भाग लेंगे।

राज्याभिषेक के बाद यदुवीर महल में मौजूद सभी मंदिरों में गए और विशेष पूजा की
पिछले साल दशहरा महोत्सव के दौरान निजी दरबार का आयोजन नहीं हुआ था। स्वर्ण सिंहासन पर प्रतीकात्मक तौर पर शाही तलवार रखी गई थी। राज्याभिषेक के साथ ही उन्हें प्रतीकात्मक शाही तलवार सौंपी गई। वाडियार वंश की परम्परा अनुसार यदुवीर को स्वर्ण पट्टिका पहनाई गई। यदुवीर इस पट्टिका को विशेष समारोह और दहशरा पर्व पर धारण करेंगे। पुरानी परंपराओं के मुताबिक यह पट्टिका राजा होने की प्रतीक मानी जाती है। राज्याभिषेक के बाद यदुवीर परिवार के सदस्यों के साथ महल में मौजूद सभी मंदिरों में गए और विशेष पूजा की।

पूरे कार्यक्रम के दौरान सबके आकर्षण का केंद्र यदुवीर की मंगेतर त्रिशिका कुमारी सिंह रहीं
इससे पहले पुरोहितों और महल के अधिकारियों से घिरे यदुवीर सुबह 9.05 बजे मुख्य कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। काफी देकर तक चले अनुष्ठानों के बाद 9.40 बजे यदुवीर सिंहासन पर बैठे। शुभ मुहूर्त में मुख्य पुजारी जर्नादन अयंगार ने यदुवीर को नया ‘महाराजा घोषित किया। वैदिक मंत्रों के उच्चारण, कर्नाटक संगीत की मधुर धुनों और पुष्प पंखुडिय़ों की वर्षा के बीच ‘महारानी, प्रमोदा देवी वाडियार, युदवीर के माता-पिता त्रिपुरा सुंदरी देवी और स्वरुप आनंद गोपाल राज अर्स और अन्य अतिथियों ने यदुवीर को बधाई दी। पूरे कार्यक्रम के दौरान सबके आकर्षण का केंद्र यदुवीर की मंगेतर त्रिशिका कुमारी सिंह रहीं। फरवरी महीने में प्रमोदा देवी के यदुवीर को गोद लेने के कुछ ही दिनों बाद दोनों की शादी तय हुई थी। त्रिशिका का संबंध राजस्थान के एक पूर्व राजघराने से है। यदुवीर-त्रिशिका की शादी इस साल के अंत तक होने की संभावना है।
पूर्व शाही परिवार की परंपराओं के अनुरुप राज्याभिषेक के बाद शाम को यदुवीर शाही रथ में सवार होकर शहर के मुख्य मार्गों से निकले। इस दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर सड़क किनारे खड़े लोगों का अभियान स्वीकार किया। यह वाडियार वंश का रिवाज है कि राजतिलक के बाद राजा प्रजा से मिलने उनके बीच पहुंचता है। यदुवीर का जन्म 24, मार्च 1992 को बेंगलूरु में हुआ था।
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