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इन जहरीली चीजों से रहे सावधान, वरना ये आपको बना देंगी बीमार!

locationभोपालPublished: Jul 24, 2017 12:09:00 pm

रोजमर्रा की मामूली चीजों में बहुत सी ऐसी हैं जिन्हें हम रोज छूते, देखते और सूंघते हैं वो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं।

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भोपाल। प्रतिदिन होने वाली इस्तेमाल की चीजों के लिए हमारी जरूरत हर दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि रोजमर्रा की मामूली चीजों में बहुत सी ऐसी हैं जिन्हें हम रोज छूते, देखते और सूंघते हैं वो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं।

जिस तरह हमें फूलों को छूने से होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं होता वैसे ही इन चीजों से होने वाले नुकसान से भी हम बेखबर रहते हैं। हर दिन के इस्तेमाल की जो चीजें हमें सुरक्षित लगती हैं, लेकिन उनपर काफी केमिकल अप्लाई किए जाते हैं। इन चीजों को ढूंढने बैठेंगे तो लिस्ट बहुत लंबी होगी। आज हम आपको (डॉ. राजकुमार के मुताबिक) बता रहा है वो 5 चीजें जो देखने में तो फायदेमंद लगती हैं, लेकिन काफी नुकसानदायक हैं…

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स
शुगर फ्री गोलियों (आर्टिफिशियल स्वीटनर्स) का इस्तेमाल मधुमेह रोगी शक्कर के तौर करते हैं। ये मीठी होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों में शुगर तो नहीं बढ़ाती, लेकिन इनके कई तरह के साइड इफेक्ट्स हैं। 



शुगर फ्री गोलियों का मनमाना प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इसके बुरे प्रभावों में ज्यादा मात्रा में कैलरी ले लेना, पकी हुई चीजों के टेक्सचर में बदलाव, एलेर्जी या कार्सिनोजेनिक असर शामिल है।

शरीर को ‘ऊर्जा’ की आवश्यकता होती है। जिसे ‘कैलोरी’ कहा जाता है। पाचन क्रिया के बाद खाने में से कैलोरी निकालती है। कैलोरी शरीर में फैट (चर्बी) के रूप में जमा होती जाती है। एक ओर जहां ज्यादा कैलोरी मोटापा जैसे रोग देती है। वहीं सिरदर्द, घबराहट, मितली, नींद कम आना, जोड़ों में दर्द और घबराहट भी आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं।





एयर फ्रेशनर्स
हमें लगता है कि घर या कार के अंदर बैठकर एयर फ्रेशनर्स का इस्तेमाल करके हम जहरीली हवाओं से बच जाएंगे। क्या आप जानते हैं कि डियोडोराइजर्स या एयर फ्रेशनर्स हमें नुकसान पहुंचाते हैं।



जानकारों के अनुसार एक कमरे के लिए इस्तेमाल होने वाले मामूली एयर फ्रेशनर में 5 डिक्लोरोफिनल होते हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी काफी परेशानियां हो सकती हैं। डियोडोराइजर्स में एंडोक्राइन-डिसरपटिंग पथालेट्स भी होते हैं। जिससे एलर्जी, पेट दर्द, सिर दर्द जैसी परेशानियां हो सकती है।

एंटिबायोटिक साबुन और डिटर्जेंट
खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना सेहत के लिए जरूरी है,लेकिन क्या आपको मालूम है कि साबुन भी आपको बीमार कर सकता है। लंबे वक्त तक साबुन के इस्तेमाल से चमड़ी फटना, चमड़ी में खुश्की या सूखापन, हाथों व ऊंगलियों में खुजली, हाथों में और आंखों में जलन जैसी तकलीफें हो सकती हैं।



अमेरिका ने एक शोध के बाद एंटी बैक्टीरियल साबुन पर रोक लगाने को सही माना है। जानकारों के अनुसार साबुनों में ऐसे रसायन हैं जो हार्मोन में बदलाव करने के लिए जिम्मेदार हैं। साबुनों में आम तौर पर ट्रिकलोसन और ट्रिकलोकार्बन जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे सेहत को भारी नुकसान हो सकता है। वहीं उनके फायदों के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है। 
जानवरों पर हुए प्रयोगों में पाया गया है कि ट्रिकलोसन के कारण शरीर में थायरॉइड, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टीरॉन की मात्रा पर असर पड़ता है। एफडीए की कॉलीन रॉजर्स कहती हैं कि नए शोध बताते हैं कि लंबे समय तक इस्तेमाल करने से एंटी बैक्टीरियल के फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं।


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नॉन स्टिक बर्तन
नॉन स्टिक बर्तनों में खाना पकाने पर तेल की जरुरत बेशक कम पड़ती है, लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि ये बर्तन आपकी सेहत को भी बिगाड़ सकते हैं। नॉन-स्टिक बर्तन से टॉक्सि फ्यूम्स निकलती हैं, जो पेट को खराब करती हैं।



नॉन-स्टिक बर्तन में पके खाने की वजह से महिलाओं में टेफ्लॉन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी में भी परेशानियां आ सकती हैं। नॉनस्टिक बर्तनों में भोजन बनाने से शरीर में ट्राईग्‍लेसिराइड पहुंचता है। ट्राईग्‍लेसिराइड बढ़ने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ सकता है।

प्लास्टिक फूड कंटेनर्स और बोतल
गर्मी आते ही हमारी फ्रिज प्लास्टिक की बोतलों या कंटेनर में रखे खाने के सामान से भरी रहती है। प्लास्टिक की किसी भी चीज का प्रयोग खाना खाने वाली वस्तुओं के रूप में करने पर यह शरीर की ग्रंथियों को प्रभावित करता है। 


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ग्रंथियां हमारे शरीर की जरुरत को पूरा करती हैं, हमें उर्जा देती है। प्लास्टिक के खिलौने, डिटरजेंट व डिब्बे के अलाव सौंदर्य प्रदान करने वाली चीजों में यह खतरनाक केमिकल पाया जाता है। ईडीसी केमिकल जब इंसान के शरीर में प्रवेश करता है तब मोटापा, कैंसर, ऑटिज्म, दिमागी परेशानी, पुरूषों में बांझपन, महिलाओं के गर्भाश्य में बांझपन का होना जैसी परेशानियां हो सकती है।
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