कब्जे हटाना तो दूर, यथास्थिति के आदेश भी हवा हो गए
बीकानेरPublished: Aug 28, 2015 02:58:00 am
उच्चतम
न्यायालय के तालबों के जोहड़ पायतान व आगोर से आंवटियों को भी अतिक्रमी मान हटाने
के
बीकानेर।उच्चतम न्यायालय के तालबों के जोहड़ पायतान व आगोर से आंवटियों को भी अतिक्रमी मान हटाने के 2011 के आदेश की पालना तो दूर संसोलाव आगोर में 2012 में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी जिला प्रशासन व संबंधित महकमों की उदासीनता व लापरवाही से हवा हो गए हैं।
ऎसे में यहां करीब 250 से 300 अवैध निर्माणों ने आगोर का नक्शा भी कुछ बदल सा दिया है। हालांकि अधिकृत तौर पर विद्युत वितरण निगम आगोर भूमि में बिजली कनेक्शन नहीं देता है, लेकिन यह पूछने वाला कोई नहीं है कि निर्माण किसी की मंजूरी से हुआ है।
उच्चतम न्यायालय के 2011 के आदेश के अनुसार तो यदि आवंटन भी किया गया है तो इन्हें अतिक्रमी मान हटाया जाना था, लेकिन संसोलाव आगोर व पर्यावरण संरक्षण समिति के बार-बार यहां लगातार बढ़ रहे अतिक्रमणों के बारे में सूचना देने पर भी प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बीकानेर के संभागीय आयुक्त भी न्यायालय जिला कलक्टर (राजस्व) बीकानेर के 2012 के आदेश की पालना में संसोलाव तालाब की आगोर में यथास्थिति बनाए रखने के बारे में तहसीलदार, बीकानेर व सचिव, नगर विकास न्यास, बीकानेर से रिपोर्ट तलब कर चुके हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई के अभाव में हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
इस संबंध में कई बार संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर, यूआईटी के अधिकारियों से मिलकर अवगत करवाया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है।
दाऊ छंगाणी, अध्यक्ष, संसोलाव आगोर एवं पर्यावरण संरक्षण समिति
अदालत के आदेश के बावजूद अतिक्रमण हो रहा है तो उस पर उसी अदालत में उल्लंघन का मामला व पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया जा सकता है। अशोक खत्री, तहसीलदार, यूआईटी, बीकानेर