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केंद्र की नीतियां सामाजिक न्याय के खिलाफ : डीएमके

locationचेन्नईPublished: Jul 23, 2017 10:51:00 pm

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने केंद्र सरकार की नीतियों को सामाजिक न्याय व्यवस्था के विपरीत ठहराया है।

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चेन्नई।द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने केंद्र सरकार की नीतियों को सामाजिक न्याय व्यवस्था के विपरीत ठहराया है। पार्टी ने एआईएडीएमके सरकार को नीट मामले में राज्य के विद्यार्थियों की हित बलि देने का जिम्मेदार माना है।

डीएमके कार्यवाहक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने एक वक्तव्य में शनिवार को कहा कि जब तक डीएमके सत्ता में थी तब तक संबंधित समुदायों को आरक्षण देने की व्यवस्था को सुचारू रखा था। इसका नतीजा यह रहा कि सामान्य परिवेश वाले विद्यार्थियों को पेशेवर पाठ्यक्रमों में दाखिला नसीब हुआ और वे डॉक्टर व इंजीनियर बन सके। डीएमके सरकार ने ही पेशेवर कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा को रद्द कराया था। बहरहाल, अब राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को लागू करने से तमिलनाडु में सामाजिक न्याय की नीति पर संकट मंडराने लगा है।
नीट मामले के लिए स्टालिन ने राज्य सरकार को दोषी ठहराया कि वह राष्ट्रपति के समक्ष लम्बित दो बिलों पर सहमति हासिल नहीं कर सकी।

ये बिल राज्य विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किए गए थे। राज्य की अनदेखी और केंद्र की भाजपा सरकार की सामाजिक न्याय के विरुद्ध नीतियों की वजह से नीट ने तमिलनाडु में प्रवेश पाया है। इसका नतीजा यह रहा कि राज्य के विद्यार्थियों के डॉक्टर बनने के ख्वाब पर पानी फेर दिया गया।

डीएमके नेता ने सवाल किया कि राज्य के मंत्रियों ने हाल में पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों से नई दिल्ली में भेंट की। मंत्रियों ने मोदी को एक ज्ञापन भी दिया कि राष्ट्रपति के पास लम्बित दो बिलों पर शीघ्र सहमति दिलाई जाए। इसी मसले पर डीएमके, वामदलों व कांग्रेस ने 27 जुलाई को मानव शृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय किया है।

डीएमके कमल हासन के पीछे नहीं: कनिमोझी

चेन्नई. डीएमके राज्यसभा सांसद कनिमोझी ने कहा कि अभिनेता कमल हासन, जो लगातार राज्य सरकार की आलोचना कर रहे हैं, के पीछे उनकी पार्टी का हाथ नहीं है। यहां हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि डीएमके बहुत बड़ा संगठन है। जिसमें अध्यक्ष करुणानिधि, कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन सहित अन्य वरिष्ठ नेता हैं और हम लोगों को किसी और की जरूरत नहीं है। डीएमके की ऐसी स्थिति नहीं आई है कि वे अभिनेता को सरकार के खिलाफ भड़काए। उन्होंने कहा कि न तो डीएमके को अभिनेता कमल हासन की सहायता की जरूरत है और न ही कि कमल हासन को डीएमके की।

 पिछले कई सालों से बिना किसी बाहरी लोगों के समर्थन के ही डीमएके अपना काम कर रही हैं। हालांकि कमल हासन भी दूसरों की इच्छाओं के अनुसार काम करने वालों में से नहीं हैं। उल्लेखनीय है डीएमके कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने भी कहा था कि अभिनेता के पीछे डीएमके का हाथ नहीं है। हालांकि कमल द्वारा सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर कमल की आलोचना कर रहे मंत्रियों की स्टालिन ने सख्ती से आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि कमल हासन सिर्फ लोगों की भावनाओं पर बात कर रहे है। अभिनेता सहित प्रत्येक मतदाता का अधिकार है कि वे बेनामी सरकार की आलोचना करें।
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