16 सालों में बिजली गिरने से देश में 30 हजार मौतें
नई दिल्लीPublished: Aug 24, 2016 06:01:00 am
पिछले सोलह सालों में बिजली गिरने से देश में तीस हजार से अधिक
मौतें हो चुकी हैं। सबसे अधिक मौते गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और
दक्षिण के पठारों में हुई हैं
अनिल अश्विनी शर्मा नई दिल्ली. पिछले सोलह सालों में बिजली गिरने से देश में तीस हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। सबसे अधिक मौते गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और दक्षिण के पठारों में हुई हैं । यदि बादलों के बारे में बेहतर समझ व जानकारी मिल जाए तो देश में मौसम की भविष्यवाणी और अधिक सटीक हो सकेगी।
बादल वास्तव में मानसून और जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है। यही नहीं प्रदूषित बादल सबसे अधिक कहर बरपाने में सक्षम होते हैं। यह बात सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की ओर से किए गए एक अध्ययन में सामने आई है। अध्ययन के तहत देशभर के मौसम विज्ञानियों से बातचीत करने पर कई बातें सामने आई हैं।
बादल जलवायु प्रणाली के प्रमुख घटक
देश में सदियों से कवियों और गीतकारों ने बादलों के बारे में हजारों कसीदें गढ़े हैं लेकिन क्या इसके बावजूद आमजन बादलों के बारे में पूरी जानकारी रखता है। बादलों के बारे में जानकारी होने पर मानसून और मौसम के पैटर्न को आसानी से समझा जा सकता है। मौसम विज्ञानी एम राजीवन कहते हैं कि बादल वास्तव में मौसम और जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने की सबसे बड़ी कुंजी हैं, लेकिन इस संबंध में हम बस इतना ही कह सकते हैं कि हमें इसके बारे में जानकारी बहुत ही मामूली है। अध्ययन में बताया गया है कि बादल जलवायु प्रणाली के प्रमुख घटक है।
क्योंकि उनकी मदद से ही ग्रहों का तापमान नियंत्रित होता है। बादल ग्रहों पर बढ़ते और गिरते तापमान दोनों के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह इस बात पर निर्भर होता है कि बादलों की स्थिति कहां है। उदाहरण के लिए यदि बादल बहुत कम ऊंचाई पर स्थित हैं तो इससे ग्रह पर ठंड बनी रहेगी। अध्ययन में कहा गया है कि बादलों के दोहरे स्वभाव को समझना बहुत जरुरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वास्तव में प्रदूषित बादल कहर बरपाने में सबसे अधिक सक्षम होते हैं।