script’27 साल यूपी’ बस यात्रा के जरिए कांग्रेस के मिशन यूपी का आगाज | UP '27 years' Mission UP Congress through open bus tour | Patrika News

’27 साल यूपी’ बस यात्रा के जरिए कांग्रेस के मिशन यूपी का आगाज

locationनई दिल्लीPublished: Jul 24, 2016 12:45:00 am

कांग्रेस ने दिल्ली से बस यात्रा के जरिए अपने मिशन यूपी का
औपचारिक आगाज कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार सुबह दस
बजे 24 अकबर रोड स्थित पार्टी

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नई दिल्ली. कांग्रेस ने दिल्ली से बस यात्रा के जरिए अपने मिशन यूपी का औपचारिक आगाज कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार सुबह दस बजे 24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय से बस को हरी झंडी दिखाकर कांग्रेस के चुनाव प्रचार की अभियान शुरुआत की। इस दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, यूपी में सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित, यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद और यूपी कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राज बब्बर समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। बस में सभी नेता सवार हुए।

यह बस यात्रा तीन दिन तक उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से गुजरते हुए कानपुर पहुंचेगी। यात्रा का अंतिम कार्यक्रम 29 जुलाई को लखनऊ में होगा। माना जा रहा है प्रियंका गांधी इस दौरान कार्यक्रम में सम्मिलित होंगी और पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करेंगी। इससे पहले कांग्रेस ने यूपी चुनाव से पहले निर्मल खत्री की जगह राज बब्बर को कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष बनाया था। वहीं इसके ठीक बाद शीला दीक्षित को यूपी चुनाव का चेहरा बनाकर चुनाव लडऩे का एलान किया गय

बस के जरिए पुरानी विरासत पर भरोसा
कांग्रेस ने अपनी बस यात्रा के लिए जिस बस को चुना है उस पर महात्मा गांधी, नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से लेकर वर्तमान नेताओं सोनिया और राहुल की बडी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं। इसके साथ ही शीला दीक्षित और राज बब्बर भी बस के ऊपर बड़े चेहरों के रूप में उकेरे गए हैं। बस के सामने और पीछे ’27 साल, यूपी बेहाल’ का नारा लिखकर मतदाताओं को यह सन्देश देने की कोशिश की गई है कि जब से कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर गयी है, तब से प्रदेश का बुरा हाल हो गया है.

ब्राह्मणों को जोडऩे की कोशिश
यूपी चुनाव में प्रशांत किशोर की रणनीति के मुताबिक, पार्टी हर हाल में ब्राह्मणों को अपने खेमे में जोडऩे की कोशिश कर रही है। इसके लिए वह अपने घोषणा पत्र में ब्राह्मणों को दस फीसद आरक्षण देने की घोषणा भी कर सकती है।

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोट किसी भी सरकार को बनाने में काफी अहमियत रखता है। 2007 में मायावती की ब्राह्मण-दलित केमिस्ट्री हिट रही थी। इसी की बदौलत बसपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। ऐसे में अगर यह वर्ग कांग्रेस की तरफ आकर्षित हो जाता है, तो इस वोट बैंक के सबसे बड़े दावेदार बीजेपी को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।

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