नवाचार भारी पड़ा किसानों को
खेती में नवाचार का एक और प्रयोग
किसानों को भारी पड़ रहा है। यह नवाचार था पोपलर का पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाना और
फिर लाखों कमाना।
संगरिया। खेती में नवाचार का एक और प्रयोग किसानों को भारी पड़ रहा है। यह नवाचार था पोपलर का पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाना और फिर लाखों कमाना। अनार के बागों ने जिले के किसानों को धोखा देकर आर्थिक रूप से तोड़ दिया। अब पोपलर लगाने वाले किसानों की जान सांसत में है।
केंद्र सरकार ने प्लाइवुड, माचिस तीली, ब्लैक बोर्ड, कागज की लुगदी, पैकिंग बॉक्स, खेल सामग्री, खिलौने, पैंसिल और सफेद फर्नीचर बनाने के लिये सर्वाधिक काम आने वाले पोपलर के पेडों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से इसके पौधे किसानों को निशुल्क बंटवा दिए। किसानों को प्रत्येक पौधे के पीछे दस रूपए अनुदान का लालच भी दिया गया। बड़ी बात यह थी कि उद्यान विभाग ने पांच साल बाद पोपलर का पेड़ तैयार होने पर अच्छे मुनाफे का सब्जबाग किसानों को दिखाया गया था।
खर्चा कम और खुबियां इतनी बताई गई कि किसानों ने पोपलर को भेड़ चाल बना दिया। खेतों में पारम्परिक पेड़ों की जगह पोपलर के पौधे लगने लगे। अब वहीं पौधे परिपक्व होकर पेड़ बन गए हैं। लेकिन इस बीच राजस्थान सरकार ने वन (उपज परिवहन) नियम 1957 के नियम 2 के अधीन 16 सितम्बर 2005 को अधिसूचना जारी कर हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर जिलों में पोपलर की कटाई एवं परिवहन पर पाबंदी लगा दी। पड़ोसी राज्यों पंजाब-हरियाणा सहित अन्य राज्यों में ऎसी कोई पाबंदी नहीं। पोपलर सीधा तथा तेज बढ़ने वाला व फसलों को बहुत कम नुकसान करने वाला ऎसा पेड़ है जो जमीन की उत्पादकता बनाए रखते हुए 6-8 साल में प्रति एकड़ 2.0 से 2.5 लाख रूपये की आय किसानों को दे सकता है।
मेहनत हुई बेकार
किसानों का कहना है कि पोपलर पेड़ों की न तो छाया होती है न ही इन्हें फल लगते हैं। छह साल के बाद यह पेड़ स्वत: ही अंदर से गलने लगते हैं और फिर पूर्णत: खत्म हो जाते हैं। इन पेड़ों को काटने के बाद तुरंत बेचा ना जाए तो यह अन्य पेड़ों की तुलना में शीघ्र सूखकर खराब हो जाते हैं। कटाई व परिवहन पर पाबंदी से किसानों को पेड़ों के खत्म होने का अंदेशा है।
अनुमति नहीं मिलती
संगरिया उपखंड क्षेत्र के रतनपुरा, हरिपुरा, दीनगढ़, बोलांवाली के अलावा अनेक किसानों ने योजना से प्रेरित होकर खेत में बने खालों पर पोपलर के पौधे पांच साल पूर्व लगाए। लेकिन पाबंदी के कारण पेड़ खराब होने लगे हैं। एडवोकेट अमित झोरड़ ने बताया कि उनके खेत चक 5 सीडीआर में सैकड़ों पोपुलर के पेड़ खड़े हैं। लेकिन इन्हें काटने व परिवहन की आज्ञा लेने के लिए तहसीलदार व जिला कलक्टर के पास चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिला कलक्टर के यहां मई 2008 से परिवहन अनुमति का आवेदन लंबित पड़ा है। 19 जून 2009 को तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री ने जिला कलक्टर हनुमानगढ़ को वांछित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात वाली है।
खेत वन क्षेत्र में नहीं
राजस्थान वन उपज अधिनियम 1953 की धारा 2 की उपधारा 4-क के तहत पोपलर पेड़ वन संपदा की परिभाषा में आता है। राजस्व जमीन पर होने से इन्हें परिवहन व कटान के आदेश राजस्व अधिकारी तथा वन विभाग की भूमि पर स्थित पेड़ों के आदेश वन विभाग जारी करता है। उपवन संरक्षक, इंगानप, हनुमानगढ़।
योगेन्द्र गुप्ता