देश में तलाक के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्र शादी पूर्व समझौते को कानूनी रूप देना चाहता है। जल्द राष्ट्रीय स्तर पर इस पर मंथन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
देश में तलाक के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्र शादी पूर्व समझौते को कानूनी रूप देना चाहता है। जल्द राष्ट्रीय स्तर पर इस पर मंथन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने हाल ही में कानून मंत्री सदानंद गौड़ा से शादी पूर्व करार को कानूनी जामा पहनाने संबंधी करार के बाबत मुलाकात की। कानूनविदों में सहमति बनी तो संबंधित प्रावधान तलाक कानून में जोड़ेंगे।
यह होगा ब्योरा
शादी से पूर्व दोनों पक्षों में लिखित करार होगा। अलग होने के तरीके, संपत्ति, देनदारी, जिम्मेदारी व कर्तव्यों का ब्योरा रहेगा। संंबंधित अफसर के पास पंजीकृत कराना कानूनी बाध्यता होगी। तलाक पर संपत्ति के मालिकाना हक का ब्योरा होगा।
इनको लाभ
लिखित करार को कानूनी मान्यता मिली तो स्त्री-पुरुष के लिए लाभप्रद होगा। अभी संबंध बिगडऩे पर स्त्री तलाक का सोचती है तो आगे जीवन को लेकर अनिश्चित रहती है। पुरुष तलाक चाहता है तो अव्यावहारिक मांगें पूरी करनी पड़ती है।
अभी ऐसे समझौते खारिज हो जाते हैं
अभी अदालतें ऐसे समझौते को खारिज कर देती है क्योंकि भारतीय कानून में इन्हें मान्यता नहीं है। शादी पूर्व समझौते की प्रणाली पश्चिमी देशों में प्रभावी तरीके से चल रही है।
जरूरत इसलिए
भारत में तलाक प्रक्रिया जटिल, लंबी और कष्टदायी है। दोनों पक्षों में समझौता नहीं होने कारण यह कई साल चलती है। दोनों एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाते हैं। दोनों पक्षों को मानसिक सदमा झेलना पड़ता है। लिखित करार दोनों को कई असहज स्थितियों से बचा सकता है। भारत में प्रति हजार पर 13 तलाक है। बड़े शहरों में तलाक मामलों बढ़ रहे हैं। 2010 में मुंबई में एेसे 5245 मामले सामने आए थे जो पिछले वर्ष तक 11667 तक पहुंच गए।