कोई भी नए काम को करने से पहले हिंदू रीति-रिवाजों में मुहूर्त को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है।
इंदौर। कोई भी नए काम को करने से पहले हिंदू रीति-रिवाजों में मुहूर्त को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसका मतलब यह है कि जिस समय हम किसी काम को कर रहे हैं उस वक्त नकारात्मक ऊर्जा हमारे काम में बाधा न बने। यही वजह है कि हिंदू धर्म में लोग शादी से लेकर हवन और पूजन भी मुहूर्त देखकर ही करते हैं।
मुहूर्त शुभ है तो कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है लेकिन मुहूर्त अशुभ है तो नकारात्मक ऊर्जा आपका काम बिगाड़ सकती है। ऐसा ही एक मुहूर्त है पंचक। यह अनुमन पांच दिनों की होती है और इसमें कोई भी शुभ काम को करना अशुभ माना गया है। इस महीने में 5 दिसंबर की रात से पंचक लग गई है। ज्योतिष के अनुसार इन समय किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है। जब चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि में अर्थात आखिरी के 5 नक्षत्रों – धनिष्ठा का उत्तरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती में हो तो इस समय को पंचक कहा जाता है।
यह भी पढ़ें
narendra-modi-1455020/” target=”_blank”>
: यहां देखिए पीएम मोदी की कुंडली, नोटबंदी पर क्यों झेल रहे हैं अपमान
कई ज्योतिषियों के हिसाब से अगर पंचक में कोई काम करना बहुत ज्यादा जरूरी है तो उसे धनिष्ठा नक्षत्र के अंत, शतभिषा नक्षत्र के मध्य, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के प्रारंभ और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के अंत की 5 घड़ी का टाइम छोड़कर बाकी समय में किया जा सकता है। लेकिन, इस समय को ध्यान में रखने के लिए खास सावधानी बरतनी चाहिए।
पंचक में नहीं किए जाने मुख्य पांच काम-
1. जब पंचक काल चल रहा है तो इस समय दक्षिण की तरफ यात्रा नहीं करना चाहिए। यह यमदेव की दिशा है।
2. धनिष्ठा नक्षत्र में घर में जलाने के लिए ईंधन नहीं खरीदना चाहिए। इससे आग लगने का खतरा रहता है।
3. पंचक के समय पलंग, चारपाई या तखत बनवाने के लिए भी वर्जित बताया गया है।
4. रेवती नक्षत्र के समय घर पर छत नहीं बनवानी चाहिए।
5. सबसे महत्वपूर्ण बात पंचक से जुड़ी यह है कि किसी का दाह संस्कार पंचक काल में नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि पंचक में जो काम किया जाता है उसे पांच बार करना पड़ सकता है। इसलिए अगर दाह संस्कार करना जरूरी है तो शव के साथ कुश के अन्य पांच पुतले बनाकर उनका भी दाह संस्कार किया जाता है।