जयपुर। शहर की व्यस्ततम सड़कों में
शुमार टोंक रोड और जवाहरलाल नेहरू मार्ग का एसएमएस के बाहर वाला हिस्सा…। शाम
तकरीबन 6 से 7 बजे के बीच का समय, वाहनों की हैडलाइटें चमक रही है। टोंक रोड पर
सूचना केन्द्र के सामने से जेएलएन मार्ग को जोड़ने वाली लिंक रोड पर घूमते ही
फुटपाथ पर एक नशेड़ी नजर आ रहा व्यक्ति सड़क की तरफ बढ़ा और एक चौपहिया वाहन के आगे
आकर बैठ गया। वाहन चालक ने जोर से ब्रेक लगाए तो आसपास चल रही गाडियों में सवार लोग
भी हक्का-बक्का रह गए। तरह-तरह की दुहाई देता यह व्यक्ति कभी चौपहिया वाहन की
खिड़की के ऊपर चढ़ने लगा तो कभी सड़क पर ही लेटने लगा। इस दौरान दुर्घटना होने की
पूरी आशंका बनी रही।
एसएमएस अस्पताल और बांगड़ भवन के चारों तरफ इस तरह के नजारे
आए दिन देखे जा सकते हैं। कई नशेड़ी तो इतने बेखौफ हैं कि वाहन चालकों से गाली-गलौच
पर उतर आते हैं। विरोध करने पर देख लेने तक की धमकी देते हैं। हैरत की बात यह है कि
इस क्षेत्र के आसपास काफी संख्या में यातायात पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं, लेकिन वे
भी मूकदर्शक बने रहते हैं।
सवा घंटे में मिले तीन दर्जन से ज्यादा
पत्रिका
संवाददाता ने सूचना केन्द्र के सामने से शाम 6 से 7:15 बजे तक क्षेत्र का दौरा किया
तो दो दर्जन से अधिक नशेड़ी फुटपाथ और सड़क के बीच ही बैठे मिले। एसएमएस के बाहर तो
ऎसे करीब एक दर्जन नशेड़ी नजर आने वाले लोग थे। पूछताछ में किसी ने गरीब होने की
दुहाई देते हुए खुद को मजबूर बताया तो कई मानसिक रूप से विक्षिप्त नजर आए।
पीड़ा या धमकी…
बांगड़ भवन के बाहर फुटपाथ के पास ही एक कपड़ेनुमा छतरी
बनी हुई। इसमें एक व्यक्ति बैठा था। फोटो खिंचते देख वह छतरी से बाहर हाथ निकाल कर
बोला, “ले लो, जो लेना है ले लो। मैं तो रोजगार करता था। लेकिन मेरी छोटी सी दुकान
भी उजाड़ दी। देख लूंगा में देख लूंगा…।”
18 लोग करते मिले धूम्रपान
पत्रिका टीम को इस दौरान करीब 18 लोग सड़क के बीच ही धूम्रपान करते दिखे।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाहर एक नशेड़ी की फोटो लेने पर उसने खुद को मध्यप्रदेश का
बताया। यहां कर रहा है? इस सवाल पर बोला, इलाज करवा रहा हूं। शाम 6 बजे बिना ओपीडी
कैसा इलाज? इस पर वह जेब में रखी पर्ची दिखाने लगा, फिर कहा…उसका तो यहीं बसेरा
है। संवाददाता के वहां से निकलते ही वह नजर बचाकर दूसरी जगह जाकर बैठ गया।
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम में यह
मनोरोग विशेष्ाज्ञ डॉ. अनिल ताम्बी के
मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम में इस तरह के लोगों को वांडरिंग ल्यूनेटिक कहा
जाता है। इसके तहत संबंधित थाना प्रभारी ऎसे व्यक्ति को पकड़कर मजिस्ट्रेट के समक्ष
प्रस्तुत करते हैं। मजिस्ट्रेट वांडरिंग ल्यूनेटिक प्रावधान के तहत मनोरोग अस्पताल
को इलाज के लिए आदेश जारी करता है। इलाज के बाद उस व्यक्ति से पूछताछ कर उसके
परिजनों को सूचना दी जाती है।