scriptडिस्कॉम की व्यवस्था मे फॉल्ट | Discoms fault in the system | Patrika News

डिस्कॉम की व्यवस्था मे फॉल्ट

locationजैसलमेरPublished: Mar 25, 2015 10:42:00 pm

गर्मी की प्रचंडता के बीच त्रस्त
आम आदमी की पीड़ा का अनुमान घर व दफ्तरो मे एयर कंडीशनर की शीतल

जैसलमेर।गर्मी की प्रचंडता के बीच त्रस्त आम आदमी की पीड़ा का अनुमान घर व दफ्तरो मे एयर कंडीशनर की शीतल हवा मे बैठे अधिकारियो व राजनेताओ को अभी तक नहीं हुआ है। शायद यही कारण है कि गर्मी से राहत के इंतजाम अभी तक शुरू नहीं किए गए है।

चाहे रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैण्ड या फिर कोई सार्वजनिक स्थान..। न तो छायादार स्थान के माकूल प्रबंध है और न ही पानी की ही व्यवस्था। सीएचसी व पीएचसी भी अभी “कूल-कूल” नहीं हो पाए हैं।


आवासगृहो का हाल बुरा है तो शहर हो या गांव, कहीं भी ऎसी कोई ठंडी व छायादार जगह की व्यवस्था नहीं की गई है, जहां गर्मी से परेशान आम आदमी थोड़ी देर सुस्ता सके।

यहां तो स्थिति निराशाजनक


जिले व शहर के अन्य मुख्य मार्गो पर इस बार अस्थाई आवास गृह अभी तक नहीं लगाए गए हैं। गर्मी का दौर इन दिनो चरम पर है, लेकिन रेलवे स्टेशन हो या गड़ीसर मार्ग या फिर अन्य प्रमुख चौराहा। इन इलाको से आवाजाही करने वाले राहगीरो, यात्रियो या फिर निराश्रित लोगो को परेशानियो से रू-ब-रू होना पड़ रहा है।


महज एक भवन मे आवास गृह का औपचारिक संचालन हो रहा है। भवन मे न तो पानी की मटकियो की व्यवस्था है और न ही कूलर की। शायद नगर परिषद या प्रशासन के किसी अधिकारी ने यहां आकर झांका तक नहीं है।


विद्युतापूर्ति मे आया “फॉल्ट”

सूरज के चढ़ते पारे के साथ ही डिस्कॉम की व्यवस्था मे भी फॉल्ट आ गया है। यूं तो आए दिन विद्युत लाइनो के रख-रखाव व मरम्मत के नाम पर बिजली की कटौती की जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि गर्मी के दिनो मे आए दिन बिजली गुल हो जाती है और डिस्कॉम के अधिकारी फॉल्ट ही ढूंढते रहते हंै। ऎसे मे गर्मी के मौसम मे कई घंटो बिना बिजली के आम आदमी बेहाल हो जाता है।


सोमवार को भी दिन मे गुल हुई बिजली कई घंटो बाद जाकर बहाल हुई। गर्मी के दिनो मे गांवों के हालात तो और भी बुरे हैं। यहां एक बार बिजली चली जाए तो कोई कह नहीं सकता कि कब लौटेगी?

खाली पदो की मार


जवाहर अस्पताल, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रो के स्वास्थ्य केन्द्र व निजी क्लिनिको मे मरीजो की भीड़ देखकर यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि तन झुलसाने वाली गर्मी व लू के थपेड़ो की चपेट मे आने से लोगो के स्वास्थ्य पर कितना प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है। हालत यह है जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जवाहर अस्पताल मे हर दिन करीब 800-850 मरीज उपचार के लिए पहुंुच रहे हैं।


ग्रामीण क्षेत्रो के स्वास्थ्य केन्द्रो की स्थिति भी जुदा नहीं है। पोकरण मे करीब 450 से 500 मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रो मे बने स्वास्थ्य केन्द्रो मे भी हर दिन 550 से 600 मरीज पहुंच रहे हैं। दिन चढ़ते ही गर्मी का जो दौर शुरू होता है, उसका असर देर शाम तक बना रहता है। इन दिनो गर्मी जनित बीमारियां, उल्टी-दस्त, जी मिचलाना, बुखार, सिरदर्द व रक्त चाप जैसी बीमारियां पांव पसारने लगी है।


उधर, जैसलमेर के सबसे बड़े जवाहर अस्पताल मे भी विशेषज्ञ चिकित्सको का टोटा है, इनमे कई पद तो वर्षो से खाली पड़े हैं। ऎसे मे मरीजो को उपचार के लिए कई परेशानियां झेलनी पड़ रही है। आयुर्वेद औषधालयो की स्थिति भी जुदा नहीं है।

यहां गुम हो गई बहार


मरू प्रदेश मे उद्यानों व वाटिकाओ से हरियाली भी गायब होने लगी है। यहां लगे अधिकांश फव्वारे व लाइटें या तो चोरों ने चुरा लिए हैं या फिर समाजकंटको ने नष्ट कर दिए हैं। शहर के भीतरी क्षेत्रों व कॉलोनियों में स्थित पार्क व उद्यानों की दुर्दशा का दौर अभी भी जस का तस बना हुआ है।

ये उद्यान न तो राहगीरों व यात्रियों के लिए प्रकृति की छांव में सुकून के दो पल दिलाने में सहायक साबित हो रहे हैं और न ही यहां अलग-अलग तरह के पौधे व पुष्प ही दिखाई दे रहे हैं। शहर के दर्जनों उद्यान व वाटिकाएं आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। ऎसे मे गर्मी से त्रस्त राहगीरो को यहां राहत नहीं मिल पा रही है।

एसी मे बैठकर कैसे हो “पीड़ा” का अहसास ?

सरहदी जैसलमेर जिले मे गर्मी ने अभी से यह अहसास कराना शुरू कर दिया है कि आने वाले दिन कैसे रहेंगे। चैत्र माह मे ही तापमापी पारा 40 डिग्री को पार कर गया है, ऎसे मे ज्येष्ठ व आषाढ़ के महीनो मे गर्मी की प्रचंडता व होने वाली परेशानियो का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।

जहां एक ओर दिन-ब-दिन चढ़ रहे सूरज के पारे के सामने लोग बेबस है और समझ नहीं पा रहे कि क्या करे और क्या न करे? ऎसे मे प्रतिकूल मौसम को देखते हुए प्रशासनिक तंत्र कितना मुस्तैद है और आमजन को राहत दिलाने के लिए उनके प्रयास कितने कारगर साबित हुए हैं, पेश मे रिपोर्ट –

दिनेश माथुर / दीपक व्यास.
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