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मॉडल स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया शुरू

locationजालोरPublished: Mar 14, 2015 10:10:00 pm

केन्द्रीय माध्यमिक
शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल में शैक्षणिक सत्र
2015-16 के लिए

रानीवाड़ा। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल में शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिए प्रवेश प्रक्रिया प्रारभ हो गई है। प्रधानाचार्य अशोककुमार परमार ने बताया कि कक्षा 6 से 8वीं तक की कक्षाओं के लिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के निर्देशानुसार श्रेणी क्रम में वरियतानुसार प्रवेश दिए जाएंगे।

कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इस सत्र में विभागीय निर्देशानुसार 45 फीसदी छात्र व 55 फीसदी छात्राओं को प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश परीक्षा 4 अप्रेल को आयोजित होगी। 6 से 8वीं कक्षा में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 16 मार्च एवं 9 वीं के लिए 20 मार्च रखी गई है।

परमार ने बताया कि जिले की एक मात्र मॉडल स्कूल को सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स का दर्जा मिला हुआ है। संस्थान के विशाल परिसर में आधुनिकतम आइसीटी लैब के इन्तजाम है। सुसçज्जत विज्ञान की प्रयोगशालाएं मय अंग्रेजी कौशल सम्प्रेषण के लिए लिंगुआ लैब की स्थापना भी की जा रही है। गुणवत्तापूर्वक व अन्य स्कूलों से बेहतरीन तालीम उपलब्ध कराने के लिए प्रयास जारी है।

इनको मिलेगी वरियता
मॉडल स्कूल में विधवा पुत्र, पुत्री, परित्यक्ता, एड्स पीडित संतान को प्रथम वरियता, बाद में विकलांग, बीपीएल एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, सामान्य वर्ग, गैर बीपीएल वर्ग के एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, सामान्य वर्ग के बीपीएल, अभिभावकों के विद्यार्थी को प्रवेश में प्राथमिकता प्रदान की जाएगी।

24 छात्रों का हुआ चयन
नेशनल मीन्स कम मेरिट परीक्षा 2015 में स्थानीय मॉडल स्कूल के 24 छात्रों का जिले में चयन हुआ है। इन छात्रों को प्रति वर्ष 6 हजार रूपए छात्रवृत्ति के रूप में दिए जाएंगे। प्रधानाचार्य परमार ने बताया कि जिले की 10 मेरिट में से 5 स्थानों पर मॉडल स्कूल के छात्रों ने बाजी मारी है।

चारदीवारी की कमी

स्कूल भवन पूर्ण है। एक साल से स्कूल का बेहतरीन संचालन भी किया जा रहा है। परन्तु स्कूल आवासीय होने के बावजूद छात्रावास नहीं होने से छात्र-छात्राओं को स्वयं अपने स्तर पर आवास का इन्तजाम करना पड़ रहा है। स्कूल की चारदीवारी नहीं होने से सुरक्षा के प्रबंध करने पड़ रहे हैं। स्टॉफ के आवास नहीं होने से स्थायी तौर पर शिक्षक यहां आने से कतराते हैं। ऎसे में यह स्कूल वैकल्पिक स्टॉफ के भरोसे चल रहा है।
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