बिना चीर-फाड़ के पांच मरीजों के ऑपरेशन
झालावाड़Published: Mar 23, 2015 10:06:00 pm
एसआरजी चिकित्सालय के
ऑपरेशन थियेटर में रविवार दोपहर में कोटा से आए विशेषज्ञ चिकित्सक ने
झालावाड़।एसआरजी चिकित्सालय के ऑपरेशन थियेटर में रविवार दोपहर में कोटा से आए विशेषज्ञ चिकित्सक ने लेप्रोस्कोपिक पद्धति द्वारा पांच अलग-अलग रोगियों के ऑपरेशन किए।
सूत्रों ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक पद्धति के माध्यम से झालावाड़ की संतोष व पूनम की पित्त की थैली में पथरी का ऑपरेशन किया।
गत कई दिनों से पथरी होने से रोगियों को खाने में परेशानी आ रही थी। इसी तरह शहर के अयाज को अपेंडिक्स व बलराम के हर्निया व मूत्र नली में खराबी आने पर मोहम्मद हनीफ के प्रोस्टेट का ऑपरेशन किया।
सभी मरीजों के ऑपरेशन को झालावाड़ मेडिकल में कार्यरत सर्जन चिकित्सकों ने स्क्रीन पर देखा। ऑपरेशन में स्क्रीन को जूम करने की भी सुविधा थी।
इससे शरीर के किसी भी हिस्से को जूम कर ऑपरेशन वाले भाग को देखा जा सकता हैं।
इस तरह की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
कोटा से आए लेप्रोस्कोपिक विशेषज्ञ डॉ.शक्तिधर पाठक ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक पद्धति के माध्यम से चीर फाड़ नहीं की जाती है। इस तरह के ऑपरेशनों में संक्रमण कम होता है। इसके माध्यम से रोगी के नाभि में एक छेद कर दो अन्य छेद रोगी के हिसाब से किए जाते हैं। इनमें नाभि वाले छिद्र से कैमरा डाला जाता है, वहीं दोनों छिद्रों में दो अन्य तारों के माध्यम से शरीर में सर्जरी की जाती है।
इसमें हारमोनिक नाम के उपकरण के माध्यम से ये सभी कार्य शरीर में ऑपरेशन के दौरान किए जाते हैं। इस पद्धति में रोगी के बिना हाथ लगाए ऑपरेशन किए जाते हैं। संबधित चिकित्सक उस जगह को लेप्रोस्कोपिक सर्जन को बताता है, लेप्रो के माध्यम से उपचार किया जाता है।
जिसमें कम समय लगता है। मरीज अयाज ने बताया कि ऑपरेशन में उसके दर्द नहीं हुआ। वो स्वस्थ्य हैं। हर्निया के रोगी बलराम ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान दर्द नहीं हुआ। उसके हल्का तरल आहार भी लेने की सलाह चिकित्सकों ने दी है। इस पद्धति से ऑपरेशन में औसतन 40 से 45 मिनट का समय लगा। जबकि सामान्य ऑपरेशन में दो से तीन घंटे का समय लगता हैं।