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जोधपुर

जिम्मेदार सरकार हो तो कम हो सकते हैं मुकदमे

उच्चतम न्यायालय के
न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर ने कहा कि सरकारें यदि अपने उत्तरदायित्व का ठीक प्रकार से

जोधपुरMar 30, 2015 / 12:26 am

मुकेश शर्मा

जोधपुर।उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर ने कहा कि सरकारें यदि अपने उत्तरदायित्व का ठीक प्रकार से निर्वाह करें तो न्यायपालिका को जनहित याचिकाओं अथवा किसी अन्य माध्यम से उसके काम-काज में अतिरिक्त दखल देने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

उन्होंने अदालतों में बढ़ते मुकदमों के लिए भी व्यवस्थागत खामियों को जिम्मेदार बताया। न्यायाधीश ठाकुर शनिवार को शहर के टाउन हॉल में मूर्धन्य साहित्यकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मरूधर मृदुल की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला को सम्बोधित कर रहे थे। “जनहित याचिका का बढ़ता दायरा” विषयक व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने कहा कि भारत का संविधान बेहद सशक्त एवं सुदृढ़ है तथा इसमें प्रत्येक व्यक्ति के विधिक अधिकारों का पूरा ध्यान रखा गया है।

अन्य देशों से तुलना करते हुए उन्होंने भारतीय संविधान एवं इसके विधिक प्रावधानों को सुसंगत एवं पारदर्शी बताया। चीन, ऑस्टेलिया, अमरीका और अन्य यूरोपीय देशों से तुलना करते हुए उन्होंने भारतीय न्यायिक व्यवस्था में जनहित याचिाकाओं की स्थिति पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

जस्टिस ठाकुर ने कहा कि चीन जैसे देशों में न्यायपालिका उतनी स्वतंत्र नहीं है, जितना भारत में है। पाकिस्तान में संवैधानिक आजादी भारत जैसी नहीं होने के कारण वहां अक्सर संवैधानिक संकट की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। भारतीय न्यायिक व्यवस्था को श्रेयस्कर बताते हुए जस्टिस ठाकुर ने इसकी समीक्षात्मक विवेचना की।

व्यवस्थागत खामियों का परिणाम-पीआईएल


इस अवसर पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुनील अम्बवानी ने कहा कि जनहित याचिकाओं के माध्यम यद्यपि अदालतें जनहित में बहुत कुछ आदेश-निर्देश जारी करती हैं, लेकिन वास्तविक कार्य सरकार को स्वयं ही करने होंगे। उन्होंने भी अधिक जनहित याचिकाओं को व्यवस्थागत खामियों का परिणाम बताया।

कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जी.एस. सिंघवी ने अपने गुरू मरूधर मृदुल के जीवन से जुड़े किस्से और प्रेरणादायक संस्मरण सुनाए। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी.एस. दवे ने मृदुल के जीवन से प्रेरणा लेने की सीख देते हुए उनके जीवन के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला।

मृदुल के संस्मरण सुनाए


इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं मृदुल के शिष्य डॉ. विनीत कोठारी, अधिवक्ता रमिन्द्रसिंह सलूजा, बाबूलाल चांवरिया ने भी उनके जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम के आखिरी में मृदुल के भतीजे एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता ने आभार ज्ञापित किया। शुरूआत में मृदुल की पुत्री सुधी राजीव ने अपने पिता के व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम में मृदुल की पत्नी गुलाब मृदुल, अन्य परिजनों सहित राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश गोविन्द माथुर, अजीतसिंह, गोपालकृष्ण व्यास, संगीत लोढ़ा, प्रतापकृष्ण लोहरा, निर्मलजीत कौर, विजय बिश्नोई, अनुपेन्द्रसिंह ग्रेवाल सहित कई न्यायिक अधिकारी एवं राजनीतिक व सामाजिक शख्यितत मौजूद थीं। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता विकास बालिया ने किया।
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