scriptबंदी की मौत पर हंगामा | Furore over death of prisoner | Patrika News

बंदी की मौत पर हंगामा

locationकरौलीPublished: Mar 03, 2015 11:07:00 pm

स्थानीय जिला जेल के एक विचाराधीन बंदी की
सोमवार रात हुई मौत के मामले में जिला अस्पताल

करौली। स्थानीय जिला जेल के एक विचाराधीन बंदी की सोमवार रात हुई मौत के मामले में जिला अस्पताल में मंगलवार को देर रात तक हंगामा मचता रहा। मृतक के परिजनों ने मंगलवार शाम पोस्टमार्टम के बाद रात को जेल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अस्पताल में ही धरना शुरू कर दिया। उन्होंने देर रात तक यह कहते हुए शव को लेने से इंकार किया कि पहले मौत के कारणों का खुलासा किया जाए।

थानाधिकारी कैलाश चंद बोहरा ने बताया कि जिला जेल में सोमवार रात साढे नौ बजे विचाराधीन बंदी रूपसिंह उर्फ गज्जू उर्फ भूपसिंह (53) पुत्र लसन्या जाटव निवासी विजयपुरा थाना सूरौठ ने सीने में दर्द की शिकायत की। इस पर जेल प्रशासन ने बंदी को जेल स्थित डिस्पेंसरी में दिखाया, जहां से उसे जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया लेकिन वहां पहुंचने पर चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।

उन्होंने बताया कि इसकी प्राथमिकी जेल उपाधीक्षक की ओर से दर्ज की गई है। इधर उन्होंने इस मामले की जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सिविल न्यायाधीश (क.ख) व न्यायिक मजिस्ट्रेट करौली प्रेमसिंह धनवाल को सौंपी है। मजिस्ट्रेट प्रेमसिंह धनवाल जांच के लिए अस्पताल पहुंचे। वे मृतक के पोस्टमार्टम के समय भी मौजूद रहे। जेल उपाधीक्षक निरंजन शर्मा ने बताया कि मृतक 27 मई 14 से अवैध देशी कट्टा रखने के आरोप में आम्र्स एक्ट के तहत बंद था। इसके अलावा वह अन्य कई मामलों में भी वांछित था।

चोटों के निशान नहीं
शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया। बोर्ड में शामिल चिकित्सक चैनसिंह मीणा ने बताया कि मृतक के शरीर पर किसी प्रकार के चोटों के निशान नहीं मिले। उन्होंने बताया कि बिसरा जांच के लिए जयपुर भेजा गया है।

लापरवाही के आरोप लगाए
बंदी की मौत की सूचना पर पहले तो मंगलवार को दोपहर में विजयपुरा गांव से दर्जनों ग्रामीण अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मजिस्ट्रेट के साथ मोर्चरी में शव को देखा। इस बीच पुलिस अधिकारियों ने पंचनामा की तैयारी शुरू की। लेकिन ग्रामीण मृतक के पुत्र व पत्नी को अस्पताल में लाने की कहकर वापस चले गए। वे मृतक की पत्नी को शाम 6 बजे अस्पताल लेकर पहुंचे, तब पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम के बाद मृतक की पत्नी नैनी देवी तथा साथ आए ग्रामीणों ने शव लेने से इनकार कर दिया।

उन्होंने मामले में जेल प्र्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाकर हंगामा कर दिया। उनको पुलिस उपअधीक्षक हनुमान सिंह व मजिस्ट्रेट प्रेमसिंह धनवाल ने समझाने का प्रयास किया। लेकिन वे अस्पताल में ही रोते-बिलखते हुए धरना देकर बैठ गए।

मृतक की पत्नी का कहना था कि वो तीन दिन पहले ही जेल में मिलकर गई थी। तब उसके पति की तबीयत ठीक थी। फिर अचानक मौत कैसे हो गई। उन्होंने जेल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। रात 10 बजे तक परिजनों अस्पताल में ही बैठे हुए थे।
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