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जयपुर

चिकित्सा मंत्री के जिले के हाल : इस जांच की सात दिन बाद मिल रही रिपोर्ट

सरकार प्रदेश में चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए खूब दावे कर रही है,
लेकिन यह दावा हकीकत से काफी दूर है। प्रदेश में वर्षों पहले स्वीकृत 74
में से 62 रेडियोलॉजिस्ट के पद रिक्त हैं।

जयपुरOct 30, 2015 / 03:35 pm

vishwanath saini

सरकार प्रदेश में चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए खूब दावे कर रही है, लेकिन यह दावा हकीकत से काफी दूर है। प्रदेश में वर्षों पहले स्वीकृत 74 में से 62 रेडियोलॉजिस्ट के पद रिक्त हैं। इसके कारण मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है। चूरू स्थित राजकीय भरतीया जिला चिकित्सालय में सोनोग्राफी के लिए 7 से 8 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। यही नहीं प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों व छह जिला चिकित्सालयों के अलावा कहीं पर भी स्थाई रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ नहीं है। अन्य चिकित्सालयों में चिकित्साधिकारियों को एक साल का रेडियोलॉजी प्रशिक्षण देकर रेडियोलॉजी का काम करवाया जा रहा है।

चूरू मुख्यालय के हाल

यहां एक वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट व एक प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट है। प्रतिदिन 70-85 सोनोग्राफी होती है। यहां 7-8 दिन की पेंडेंसी चल रही है।दो मशीने लगी हैं। प्रतिदिन 150 मरीजों से अधिक की सोनोग्राफी की जांच लिखी जाती है। एक साल में दो रेडियोलॉजिस्ट लगाए गए। जिसमें एक तो आया ही नहीं दूसरा ज्वाइन करके चला गया। यहां औसतन 1000 की ओपीडी रहती है।

यहां पर कार्यरत हैं विशेषज्ञ

जानकारी के मुताबिक एसएमएस जयपुर में छह, जोधपुर में दो, चूरू, पाली, दौसा, अलवर जिला चिकित्सालयों में एक-एक रेडियोलॉजिस्ट कार्यरत हैं। इसके अलावा प्रदेश के अधिकांश चिकित्सालयों में प्रशिक्षित चिकित्साधिकारी लगाए हैं।

इसलिए बढ़ रही पेंडेंसी

मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना शुरू होने के बाद चिकित्सालयों में जांच के लिए मरीजों की संख्या में बाढ़ सी आ गई। पहले जहां 40-50 जांच होती थी वहीं अब डेढ़ सौ से अधिक सोनीग्राफी जांच हो रही है। इसके मुताबिक रेडियोलॉजी विभाग में संसाधन नहीं बढ़ाए गए।

चूरू में स्थिति
सोनोग्राफी सेंटर जांच तिथि
चूरू 7-8 बाद
सुजानगढ़ 1-2 बाद

रतनगढ़ 2-3 बाद

राजगढ़ 2-3 बाद

तारानगर बंद

सरकारी सेवा में नहीं आने के कारण

आल राजस्थान इन सर्विस रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव डॉ. बीएल नायक ने बताया कि रेडयोलॉजिस्ट की डिग्री प्राप्त डॉक्टरों का सरकारी सेवा में नहीं आने का कारण निजी चिकित्सालयों में भारी पैकेज है। इसके अलावा सरकारी सेवा के दौरान निजी पै्रक्टिस पर बैन व मेडिको लीगल कार्य के कारण कोर्ट में पेशी भुगतना भी इसकी बड़ी वजह है। नायक ने बताया,निजी पै्रक्टिस से बैन हटे और कोर्ट पेशी से राहत मिले तो सरकारी सेवा में जरूर आएंगे।

सरकार कर रही प्रयास : चिकित्सा मंत्री


इम मामले में चिकित्सामंत्री राजेन्द्र राठौड़ का कहना है कि राजस्थान में सबसे कम फैकल्टी किसी विभाग में है तो वह रेडियोलॉजी विभाग है। अभी सहायक रेडियोग्राफर की भर्ती निकाली गई थी लेकिन जितने पदों पर भर्ती निकाली गई उसकी एवज में केवल 20 फीसदी ने कार्यभार ग्रहण किया। उक्त विभाग में मानव संसाधन की कमी है। फिर भी सरकार पूरे प्रयास कर रही है। किसी को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
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