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कोलकाता

ग्रामीण बंगाल में रोके नहीं रुक रहे बाल विवाह के मामले 

एक ओर जहां है देश में साक्षरता अभियान, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ
जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं, वहींं राज्य के 55 फीसदी ग्रामीण स्कूली
बच्चों ने स्वीकार किया है

कोलकाताAug 31, 2016 / 05:54 am

शंकर शर्मा

kolkata news

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रेनू सिंह
कोलकाता. एक ओर जहां है देश में साक्षरता अभियान, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं, वहींं राज्य के 55 फीसदी ग्रामीण स्कूली बच्चों ने स्वीकार किया है कि उनके समाज में अभी भी धड़ल्ले से बाल विवाह हो रहे हैं। राज्य केकुल 475 ग्रामीण सरकारी स्कूलों में किए गए सर्वे के परिणाम बताते हैं कि बाल विवाह निषेध के कड़े कानून सिर्फ कागजों पर ही हैं। इक्का दुक्का कार्रवाई के अलावा इस सामाजिक बुराई को कम नहीं किया जा सका है। कम उम्र में विवाह के कारण बच्चों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। पश्चिम बंगाल बाल अधिकार सुरक्षा आयोग की ओर से हाल ही में राज्य के 15 जिलों में किए गए सर्वेक्षण में यह सामने आया है।

रीति रिवाजों की आड़: सर्वेक्षण के दौरान देखा गया कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों में रीति रिवाजों की आड़ में बाल विवाह को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में बढ़ावा मिल रहा है। कई संप्रदाय अपने बंधे नियमों के तहत इसे स्वीकृति दे रहे हंै। प्रत्यक्ष रुप से कानून के साथ खिलवाड़ है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लड़की की उम्र 14 साल होने पर उसे शादी के लिए शारीरिक रु प से तैयार मानता है। अक्षय तृतीया जैसे अवसर पर शुभ दिन की आड़ मेंं बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं।

अर्थिक तंगी क ा असर: आर्थिक तंगी भी बाल विवाह या कम उम्र में विवाह का बड़ा कारण है। आर्थिक रुप से कमजोर परिवार की लड़की को किसी समृद्ध घर का लड़का मिल जाता है तो वहां बाल विवाह करने में भी परिजनों को कोई हिचकिचाहट नहीं होती है। महानगर कोलकाता के एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में 15 वर्षीय 10वीं की छात्रा के विवाह का मामला सामने आया है।

अगस्त में 2 मामले

केस नं -1
हावड़ा के डोमजूर निबड़ा मल्लिक पाड़ा इलाके में 19 अगस्त की रात पुलिस की सक्रियता से एक नाबालिग की शादी रोक दी गई। पूछताछ में पता चला है कि दूल्हे की यह दूसरी शादी है।

केस नं -2
बालूरघाट के मलंचा आश्रम इलाके में 8 अगस्त 2016 रात को स्वयंसेवी संस्था चाइल्ड लाइन ने एक नाबालिग का विवाह होने से बचा लिया। मलंचा के चक भृगू गांव की 15 वर्षीय किशोरी की शादी उसके नानी नाना ने तय कर दी थी। किशोरी कक्षा 9 वीं की छात्रा है।

क्या क्या दुष्परिणाम
 मानसिक संतुलन खो देना
 शारीरिक, मानसिक परिवर्तन को स्वीकार न पाना
 कोमा में चले जाने की आशंका
 तनावग्रस्त होना
 संतान के कुपोषित होने की आशंका
 सामान्य लोगो से दूर रखने व कुंठाग्रस्त होने की स्थिति

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
&राज्य के स्वास्थ्य विभाग की अनिंनिशा क्लीनिक योजना के तहत बाल विवाह रोकने के लिए काउसिंलिंग की जाती है। हमें शादी से पहले पता चलता है तो हम रोकने की कोशिश करतें है पर होने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता। लड़कियों का भविष्य अधर में चला जा रहा है। शिप्रा मंडल, सरकारी कर्मचारी अनिंनिशा क्लीनक योजना पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग

क्या कहते हैं आयोग
&राज्य में बाल विवाह की स्थिति गंभीर है। बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हंै। बच्चों का भविष्य भी बिगड़ रहा है। 55 फीसदी लोगों का यह स्वीकारना कि बाल विवाह होते हैं हमारे समाज की जागरुकता पर प्रश्न खड़ा कर रहा है।
अशोकेन्दु सेनगुप्ता, पूर्व चैयरमैन, पश्चिम बंगाल बाल अधिकार सुरक्षा आयोग

क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
&बाल विवाह बच्चों के जीवन पर दुष्प्रभाव डालता है। लड़कों में कम लड़कियों में ज्यादा। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी होने पर कई समस्याएं सामने आती हैं। कई बार लड़कियां मानसिक संतुलन खो देती हैं। कोई फैमिली प्लानिंग नहीं होती। गर्भधारण के बाद जच्चा बच्चा दोनों पर खतरा होता है। बाल विवाह सुखमय जीवन को दुखमय बना देता है।प्रो. अभिषेक हंसा, मनोवैज्ञानिक, एप्लाइड साईकोलॉजी, सीयू
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