कोलकाता. वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के खिलाफ लगातार आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने वस्त्र व्यवसाय से जुड़े आंदोलनकारियों को दो टूक कह दिया है कि वह कपड़ा व्यवसाय को शून्य कर के वर्ग में नहीं लाएगी। इधर, काफी कोशिशों के बाद भी कपड़ा व्यवसायी सरकार को यह समझा पाने में असमर्थ रहे हैं कि उनको समस्या जीएसटी से नहीं है बल्कि उसकी लम्बी प्रक्रिया से है। जीएसटी के लगभग एक महीने होने आए लेकिन व्यापार पटरी पर नहीं आया है।
स्थिति यह हो गई है कि अब कच्चे बिल की संख्या बढऩे लगी है। व्यापारी कार्ड व ऑनलाइन ट्रांसेक्शन करने से कतरा रहे हंै। साथ ही बिल भी नहीं मिल रहा है। लोगों को विश्वास पर काम चलाना पड़ रहा है।
स्टॉक मेनटेन करना मुश्किल
&जीएसटी अगर एक बिन्दु पर होता तो समस्या नहीं होती लेकिन हर कदम पर जीएसटी लग रहा है। एक छोटा व्यवसायी एकाउंट कैसे संभालेगा। व्यवसायी यार्न सहित अन्य में कर देने को तैयार है लेकिन मल्टीपल फेक्टर पर कर व्यवसायियों की समझ के परे है। व्यवसायियों ने इस विषय पर सरकार से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं सुना। स्टॉक मेनटेन करना खुदरा व्यवसायी के लिए संभव नहीं है।
नीतिन सरावनी, संचालक, बबली साड़ी
&जीएसटी को कर सरलीकरण बताया जा रहा है लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल है। वस्त्र उद्योग पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है लेकिन अन्य कर भी इससे जुड़ रहे हैं, क्योंकि एक वस्त्र बनते समय कई हाथों से गुजरता है। प्रत्येक प्रक्रिया में अलग अलग कर है। कारीगरों को भी नहीं छोड़ा गया है। इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। वस्त्र उद्योग असगंठित क्षेत्र है। छोटे व्यवसायी इससे जुड़े हुए हंै। वे इन जटिल प्रक्रियाओं को कैसे समझेंगे। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए था।
पंकज पराखा, संचालक, पराखा क्रिएशन
हर दुकान में एकाउंटेंट
जीएसटी के तहत हर दुकानदार को एकाउंटेंट रखना पड़ेगा। यह कैसे संभव होगा। एक दुकान से कई परिवार का पेट चलता है। वैसे भी बाजार बहुत खराब चल रहा है। अब अधिक खर्च का बोझ कैसे उठा पाएगा। पुराने कर्मचारियों को हटाकर नए पढ़े लिखे कर्मचारी रखते है तो भी ठीक नहीं है। एक महीने हो आए जीएसटी की समस्या खत्म नहीं हुई। सरकार कहां किसकी मदद कर रही है। चेतन रुइयां, संचालक मेघना साड़ी
नए कर्मी रखें तो पुराने बेरोजगार होंगे
बड़ाबाजार में अधिकतर कपड़ा दुकानें छोटी हैं। छोटी दुकानों में कम्प्यूटर सिस्टम इंस्टाल करना मुश्किल भरा काम है। कम्प्यूटर रख भी लिया तो एकाउंटेंट रखना संभव नहीं है। ज्यादातर दुकानों के मौजूदा कर्मचारी कम पढ़े लिखे हुए हैं। उनको प्रशिक्षण कैसे दिया जाएगा। वे लोग अत्याधुनिक व्यवस्था को नहीं जानते है। उन्हें कैसे निकाल दें। नया स्टाफ रखते हैं तो पुराने बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसा करना यह संभव नहीं है।
निर्मल सराफ, संचालक पनघट साड़ी