कोलकाता. राज्य सरकार ने जूट मिलों के खिलाफ बेवजह कार्रवाई की आलोचना की है। वित्त मंत्री डॉ. अमित मित्रा की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह ने हाल के दिनों में जूट आयुक्त कार्यालय की ओर से चलाए गए अभियान पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार की सहमति के बिना ऐसा कदम नहीं उठाया जाए ताकि मिल वाले इलाके में कानून व्यवस्था बिगड़ जाए और श्रमिक अशांति की स्थिति पैदा हो जाए।
सचिवालय नवान्न में सोमवार को हुई मंत्री समूह की बैठक में जूट की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई। मंत्री समूह ने बैठक में उपस्थित जूट उपायुक्त दीपंकर महतो से जूट के मौजूदा भाव कायम रखने की दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया है। वित्त मंत्री डॉ. मित्रा ने जूट आयुक्त कार्यालय का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अनियमितता तथा अन्य किसी भी मामले में मिलों को दण्डित करने से पहले वह राज्य सरकार को विश्वास में ले। जबकि राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक ने केंद्र सरकार की ओर से मिलों को मिलने वाले बोरे के ऑर्डर का सिलसिला जारी रखने का आग्रह किया।
मंत्री समूह ने जूट मिलों को जूट का पर्याप्त स्टॉक रखने को कहा है। ताकि मिलों में जूट की कमी ना हो। राज्य सरकार ने जूट आयुक्त कार्यालय को जूट के भाव पर तथा बिचौलियों और गैर पंजीकृत जूट कारोबारियों पर नजर रखने को भी कहा है।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन राघव गुप्ता ने राज्य सरकार का पक्ष लेते हुए बताया कि अनियमितता के दोषी पाए जाने वाले जूट मिलों के खिलाफ कार्रवाई का हम विरोध नहीं करेंगे, पर ब्लैक लिस्टिंग के नाम पर थोक के भाव में कार्रवाई उचित नहीं है।
इस दिन की बैठक में डॉ. मित्रा के अलावा कृषि मंत्री पुर्णेन्दू बसु, श्रम मंत्री मलय घटक और खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक, ईजमा की ओर से राघव गुप्ता, मनीष पोद्दार और घीसाराम वर्मा तथा श्रम विभाग के प्रधान सचिव सतीश चंद्रा विशेष रूप से उपस्थित थे।