बहुचर्चित सिंगुर की जमीन किस को, टाटा को या अनिच्छुक किसानों को? सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस पर अपना फैसला सुनाएगा
कोलकाता. बहुचर्चित सिंगुर की जमीन किस को, टाटा को या अनिच्छुक किसानों को? सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस पर अपना फैसला सुनाएगा। अनिच्छुक किसानों की जमीन लौटाने संबंधी पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से बनाए गए कानून (जिसे कलकत्ता हाईकोर्ट अवैध और असंवैधानिक करार दे चुका है) पर न्यायाधीश गोपाल गौड़ और अरुण मिश्रा की खंडपीठ बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी। फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर में एक दशक पहले तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने टाटा के लखटकिया कार कारखाने के लिए 997 एकड़ भूमि अधिगृहित की थी। कुछ किसानों की जमीन जबरन भी अधिगृहित की गई थी। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसका जोरदार विरोध किया था।
विरोध और हंगामे के कारण टाटा ने अपना कारखाना गुजरात स्थानांनतरित कर लिया था। वर्ष 2011 में सत्ता आने के साथ ही ममता बनर्जी ने अनिच्छुक किसानों की जमीन वापस लौटाने के लिए ‘सिंगर जमीन पुनर्वासन व उन्नयन कानून 2011Ó के नाम से एक कानून बनाया था।
टाटा ने कलकत्ता हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती दी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उक्त कानून को अवैध और असंवैधानिक करार दिया। पश्चिम बंगाल ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना फैसला सुना सकता है।