कोटा। दशहरा मेले में दुकान
आवंटन के लिए एक दुकानदार से रिश्वत लेने के 15 साल पुराने मामले में न्यायालय ने
गुरूवार को नगर निगम के तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक को चार साल कठोर कैद व 10 हजार रूपए
जुर्माने से दंडित किया है जबकि तत्कालीन राजस्व अधिकारी समेत चार अन्य कर्मचारियों
को साक्ष्य के अभाव में दोष्ामुक्त कर दिया।
किशोरपुरा निवासी दुकानदार
सज्जन सिंह ने एसीबी में शिकायत दी थी, जिसमें कहा कि अक्टूबर 2000 में दशहरा मेले
में उसे निगम ने दुकान आवंटित की थी। इसके बाद तत्कालीन राजस्व अधिकारी कैलाश चंद
शर्मा, कनिष्ठ लिपिक गजेन्द्र सिंह व गिर्राज गहलोत, मोहर्रिर रमेशचंद शर्मा,
परिचालक रमेश मरूंडा व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामचरण ने उस दुकान को किसी अन्य के
नाम आवंटित करने के नाम पर धमकाते हुए उससे दो हजार रूपए की मांग की। पढ़ें रिश्वत
प्रकरण ञ्च पेज 14
एसीबी ने किया था गिरफ्तार
शिकायत पर एसीबी ने
कार्रवाई करते हुए 19 अक्टूबर 2000 को गजेन्द्र सिंह को अन्य सभी कर्मचारियों के
लिए 1500 रूपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। उसी समय वहां मौजूद अन्य
कर्मचारियों को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था।
करीब 15 साल चली सुनवाई
के बाद न्यायालय ने गजेन्द सिंह को रिश्वत लेने का दोष्ाी मानते हुए उसे 4 साल कठोर
कैद व 10 हजार रूपए जुर्माने से दंडित किया है, जबकि अन्य आरोपित को दोष्ामुक्त कर
दिया। सभी कर्मचारी 15 साल से निलंबित चल रहे हैं।