नगर निगम प्रशासन की सुस्ती के चलते अभी भी विकास कार्यों का लाखों का बजट फाइलों में ही बंद है जबकि वित्तीय वर्ष खत्म होने वाला है
कोटा. नगर निगम प्रशासन की सुस्ती के चलते अभी भी विकास कार्यों का लाखों का बजट फाइलों में ही बंद है जबकि वित्तीय वर्ष खत्म होने वाला है। लैप्स होता देखकर निगम प्रशासन अब आनन-फानन में बजट को खपाने की तैयारी कर रहा है। दो दिन पहले हुई निगम बोर्ड की बैठक में ज्यादातर पार्षद विभिन्न मदों में बजट बढ़ाने की मांग कर रहे थे, लेकिन वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्वीकृत किए गए बजट के खर्च करने पर किसी का ध्यान नहीं गया। समितियों के अध्यक्ष भी अपने अनुभाग के बजट का लेखा-जोखा नहीं करते हैं। इस कारण फरवरी मध्य तक कई मदों में लाखों रुपए का बजट पड़ा हुआ है। स्वीकृत बजट का 31 मार्च तक उपयोग नहीं किया गया तो लैप्स हो जाएगा।
डेढ़ करोड़ में से सिर्फ पांच लाख खर्च
निगम की ओर से सार्वजनिक रोशनी के लिए पिछले साल बिजली का सामान क्रय करने के लिए डेढ़ करोड़ का बजट रखा गया है जबकि इस मद में 31 जनवरी तक केवल 5.46 लाख रुपए ही खर्च हुए हैं।
वहीं इतना बजट होने के बाद भी शहर की कई कॉलोनियों में अभी तक रोड लाइटें तक नहीं लगी है। विद्युत अनुभाग का लाखों का बजट लैप्स होने की कगार पर है। इस बजट का उपयोग नहीं होने का मुख्य कारण शहर में एलईडी लाइटें लगाने की योजना को बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक यह प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है। विद्युत समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र हाड़ा ने बताया कि प्रतिदिन पार्षद रोड लाइटें लगाने की मांग लेकर आते हैं, लेकिन बजट होते हुए भी ट्यूबलाइटें खरीदने की अनुमति नहीं दी जा रही है। प्रशासनिक अड़ंगे के कारण दिवाली पर भी कई कॉलोनियां अंधेरे में डूबी रही थी।
पाइप लाइन का एक तिहाई बजट भी खर्च नहीं
निगम ने शहर में पाइप लाइनें डालने के लिए 150 लाख का बजट स्वीकृत किया है, लेकिन जनवरी तक एक तिहाई बजट भी खर्च नहीं हुआ है। 31 जनवरी तक केवल 38.94 लाख रुपए का ही बजट व्यय किया गया है। अभी भी एक करोड़ से अधिक का बजट शेष है।
स्वच्छता के बजट को भी लगा दिया पलीता
केन्द्र व राज्य सरकार स्वच्छता पर विशेष जोर दे रही है। कोटा को खुले में शौच मुक्त करने की बातें हो रही है। इसलिए सार्वजनिक शौचालय एवं मूत्रालय के लिए दो करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन अभी तक केवल 45.98 लाख रुपए ही खर्च हुए हैं। जबकि सार्वजनिक शौचालयों की मरम्मत व सफाई नहीं होने के कारण ही केन्द्र सरकार के दो दिन पहले जारी किए गए सर्वे में इस श्रेणी में जीरो नम्बर मिले हैं।
अनुदान की राशि भी दबा ली
निगम को विभिन्न योजनाओं में अनुदान के रूप में लाखों रुपए की राशि प्राप्त हुई है, लेकिन निगम प्रशासन अनुदान की राशि भी खर्च नहीं कर पा रहा है। निगम को आपदा एवं प्रबंधन सहायता के लिए पांच करोड़ की राशि दी गई थी, लेकिन अभी तक निगम एक पाई भी खर्च नहीं कर पाया है। नगरीय परिवहन संचालन के लिए राज्य सरकार से 200 लाख का अनुदान दिया गया था, लेकिन इसमें से कोई राशि खर्च नहीं की गई है।