इस तरह उन तक पहुंचेगा दोस्ती का पैगाम
सूरतPublished: Aug 01, 2015 09:59:00 pm
हट्ट के बडीज़ का आयोजन, नि:शक्त बच्चों के साथ मनाएंगे फे्रंडशिप-डे
सूरत. परपीड़ा की स्वानुभूति ने सिद्धार्थ और वर्धमान को भगवान बुद्ध और महावीर बना दिया था। दु:ख की ऐसी ही स्वानुभूति कुछ स्कूली छात्रों ने भी महसूस की। जिसके बाद उन्होंने तय किया कि इस बार दोस्ती का पैगाम उन अशक्त बच्चों तक पहुंचाया जाए, नि:शक्तता जिनकी राह में रोड़ा बनी हुई है। हट्ट के बडीज़ सोशल ग्रुप के यह सदस्य रविवार को फ्रेंडशिप-डे पर अपना समय डिसेबल वेलफेयर ट्रस्ट संचालित नि:शक्तजनों के स्कूल छात्रावास में बिताएंंगे।
बुजुर्गों की सीख है कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। भारतीय संस्कृति के मूल में भी यही है कि जितना हो सके, वंचितों तक प्यार बांटते चलो। शहर के कुछ युवाओं ने इस सीख को अभी से जीवन में उतार लिया है। यही वजह है कि एसडीजे इंटरनेशनल स्कूल से बीबीए द्वितीय वर्ष के 16 छात्रों ने तय किया कि फें्रडशिप-डे पर रविवार को सुबह ११ बजे डिसबेल वेलफेयर ट्रस्ट के उमरा स्थित छात्रावास जाएंगे। यहां रह रहे 45 नि:शक्त बच्चों को दोस्ती का पैगाम देने के साथ ही पेस्ट्री और केक काटा जाएगा। साथ ही स्टेशनरी किट भी दी जाएगी। छात्रों ने बताया कि बच्चों के साथ गेम खेलने के दौरान जीतने वाले बच्चों को गिफ्ट भी दिए जाएंगे। समूह में छात्रावास जाने वालों में शिवानी भंसाली अकेली लड़की है।
ऐसे मिली प्रेरणा
ग्रुप के सदस्य देवांग और केविन करीब सप्ताहभर पहले घोड़दौड़ रोड से जा रहे थे। उस दौरान केविन ने नि:शक्त बच्चों की मुश्किल देखी तो उसी समय तय कर लिया कि कुछ समय इन बच्चों के साथ गुजारा जाए। देवांग से सहमति मिलते ही समूह के अन्य छात्रों से बात की। उनकी पहल पर साहिल, मुनेत, पियूष, नमन, सुनील, हर्ष और पुलकित समेत साथ पढ़ रहे 16 बच्चे साथ हो लिए।