scriptउस्ताद को चंगा बताया, फिर बोलती बन्द | Ustad told heal, then stop talking | Patrika News

उस्ताद को चंगा बताया, फिर बोलती बन्द

locationउदयपुरPublished: May 27, 2015 03:04:00 am

बाघ टी-24 (उस्ताद) को
रणथम्भौर से यहां लाकर सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में कैद करने के 10 दिन बाद
आखिरकार मंगलवार को वन विभाग

Udaipur news

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उदयपुर। बाघ टी-24 (उस्ताद) को रणथम्भौर से यहां लाकर सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में कैद करने के 10 दिन बाद आखिरकार मंगलवार को वन विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी तोड़ी। लेकिन, सिर्फ यह कहने मीडिया के सामने आए कि उस्ताद चंगा है। धीरे-धीरे सहज हो जाएगा। उस्ताद को लेकर पहली बार सामने आए अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे के फुटेज दिखाए। इसके बाद किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

यहां सूचना केंद्र में वन्यजीव प्रभाग के सीएफ राहुल भटनागर, उप वन संरक्षक टी. मोहनराज व सहायक वन संरक्षक डॉ. सतीश शर्मा के समक्ष प्रोजेक्टर के जरिये बताए गए इन फुटेज में उस्ताद भोजन करते नहीं दिखा। इस पर अधिकारियों ने सफाई दी कि पेड़ ज्यादा हैं और भोजन रात को किया होगा इसलिए खाते हुए नहीं दिखा। भटनागर ने कहा कि बाघ स्वस्थ है। कैमरों के जरिये उस पर सतत निगरानी रख रहे हैं। वह एक हैक्टेयर क्षेत्र के एक्लोजर में घूम-फिर रहा है। भोजन-पानी ले रहा है।

इन सवालों पर साधी चुप्पी
बाघ को नियम विपरीत जिंदा पाडा कैसे दे दिया?
उसे वापस रणथंभौर शिफ्ट किया जाएगा या नहीं?
अब शिफ्ट किया भी जाना चाहिए या नहीं?
वन्यजीव प्रेमियों को कब दिखाया जाएगा?

शिफ्टिंग गलत, आदमखोर नहीं है उस्ताद
वन्यजीव प्रेमी पी वी सुब्रमण्यम ने टी-24 बाघ को रणथम्भौर से स”ानगढ़ स्थानान्तरित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे गलत ठहराया है। सुब्ा्रमण्यम ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि उस्ताद का रणथम्भौर में बड़ा परिवार है। उसे शिफ्ट कर देने से उसके 12-14 माह के शावकों पर खतरा मंडराने लगा है।

उस्ताद को आदमखोर बताए जाने पर ऎतराज जताते हुए उन्होंने कहा कि तीन में से दो मामलों में यह साबित ही नहीं हुआ कि किसी बाघ ने उन पर हमला किया है या फिर कोई और चीज थी। बाघ ने सिर्फ एक वन कर्मी पर हमला किया था। कारण कि वनकर्मी उस झाड़ी की तरफ बढ़ रहा था, जिसमें उस्ताद छिपा था। सिर्फ इसी को आधार बनाकर तुरत-फुरत में उस्ताद को स”ानगढ़ शिफ्ट कर देना उचित नहीं है।

छह जनों की कमेटी बनाते
सुब्रमण्यम ने कहा कि यदि बाघ को शिफ्ट करना ही था तो एनटीसीए की गाइड लाइन के मुताबिक छह लोगों की एक कमेटी बनाई जानी थी। इसमें अधिकारियों, एनजीओ, वन्यजीव प्रेमियों, एनटीसीए के अधिकारियों को शामिल किया जाता। कमेटी कुछ दिनों तक बाघ की गतिविधियों पर नजर रखती और इसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए थी। सुब्ा्रहमण्यम ने माना कि आपातकालीन स्थिति में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को निर्णय करने का अधिकार है, लेकिन ऎसी स्थिति में भी उसे सबसे पहले एक रिपोर्ट तैयार कर एनटीसीए को सूचित करना पड़ता है। उस्ताद के मामले में इस नियम की अनदेखी हुई। इससे भी शिफ्टिंग पर सवाल खड़े होते हैं।

पर्यटन लॉबी का दबाव
सुब्रमण्यम के अनुसार इस मामले में जानकारी की गई तो पता चला कि यह सब पर्यटन लॉबी के दबाव में किया जा रहा है। एक अन्य बाघ सुल्तान को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, लेकिन उसका मानव के प्रति प्रेम भाव ज्यादा रहता है। ऎसे में उसे बचाने के लिए दूसरे बाघ को शिफ्ट किया गया है। इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि सुल्तान ने भी कोई हमला किया हो।

इंसान को देख भड़कता है
एक सवाल पर अफसरों ने कहा कि उस्तार इंसान को देखते ही गुर्राने लगता है। उसके इस स्वभाव में धीरे-धीरे बदलाव आ जाएगा।
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