52 मदरसों की ओर से मध्याह्न भोजन लेने से इनकार करने के मामले में अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। मदरसे खुद भोजन बना रहे हैं वहीं प्रशासन की ओर से इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उज्जैन. शहर के 52 मदरसों की ओर से मध्याह्न भोजन लेने से इनकार करने के मामले में अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। मदरसे खुद भोजन बना रहे हैं वहीं प्रशासन की ओर से इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि अब मदरसे नए कलेक्टर से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे अब वे उनकी बातों का समाधान करेंगे।
भोजन लेने से इनकार कर दिया था
जिला प्रशासन की ओर से शहर में 1 अगस्त से मध्याह्न भोजन के नए टेंडर जारी किए थे। इसके बाद से ही मदरसों ने इन मध्याह्न भोजन बनाने वाली संस्थाओं से भोजन लेने से इनकार कर दिया था। मदरसा समिति ने प्रशासन से खुद के लिए अलग एनजीओ बनाकर भोजन बनाने या पूर्व की तरह समूह के माध्यम से ही भोजन दिए जाने की मांग की थी। तत्कालीन प्रभारी कलेक्टर अविनाश लवानिया ने इसे नामंजूर कर दिया था। इसके बाद से ही मदरसों ने शासन की ओर से दिए जाने वाले भोजन पर रोक लगा दी।
बच्चों को शासन का पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाया
अगस्त बीतने को आया है, लेकिन मदरसे के 2700 बच्चों को शासन का पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाया। हालांकि समिति ने कलेक्टर से मिलकर अपनी बात नए सिरे से रखने की बात कही थी लेकिन अब तक समिति कलेक्टर से मिलने नहीं पहुंची। वहीं अब नए कलेक्टर के आने से समिति नए सिरे से प्रशासन से बात करेगी। मदरसा शिक्षण समिति के अशफाकउद्दीन का कहना है कि मसले का अब तक समाधान नहीं होने से हमने भोजन नहीं लिया है। अब नए कलेक्टर आएंगे तो उनसे मिलकर अपनी बात रखेंगे।