आखिर वह पल आ ही गया जब राजाधिराज महाकाल अपने शाही स्वरूप में प्रजा के हाल जानने निकलेंगे। हर ओर उल्लास छाया रहेगा तो उनकी एक झलक पाने को श्रद्धालु आतुर दिखाई देंगेे।
उज्जैन. बाबा की पालकी जैसे आगे बढ़ेगी भक्तों की आस्था हिलोरे लेगी। हर कोई महाकाल के अद्भुत रूप के दर्शन कर अपने मन को तृप्त करेगा। राजा के स्वागत-वंदन के लिए भक्तों ने सात किमी लंबे सवारी मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया है। जगह-जगह तोरण-द्वार लगाए गए हैं तो रास्ते भर उनके अगवानी के लिए फूलों से वर्षा होगी।
दो लाख श्रद्धालुओं की संभावना
भक्तों और महाकाल के बीच छह घंटों का ऐसा अटूट प्रेम बिखरेगा कि उज्जैयिनी धाम अपने आलौकिक स्वरूप में दिखाई देगी। जहां भक्त और प्रभु एकाकार होते दिखेंगे। बाबा के इस शाही स्वरूप निहारने के लिए दो लाख श्रद्धालुओं के शहर में जुटने की संभावना है।
श्रावण-भादौ मास की अंतिम शाही सवारी
श्रावण-भादौ मास की अंतिम शाही सवारी अपने निर्धारित समय सोमवार शाम 4 बजे से शुरू होगी। सवारी में श्री महाकालेश्वर चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में पालकी विराजित होकर सबसे आगे रहेंगे। इनके पीछे श्री गरुड़ के रथ पर शिव तांडव, श्री नंदी के रथ पर उमा महेश, रथ में डोल पर होलकर मुघौटा, रथ पर सप्तधान का मुघौटा व हाथी पर मनमहेश के स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। सवारी के शाही स्वरूप में हाथी-घोड़े के लवाजमे के साथ सशस्त्रबल की टुकड़ी और घुड़सवार दस्ता चलेगा। सवारी का स्वरूप करीब दो किमी लंबा होगा।
स्वागत की ऐसी तैयारी
महाकाल मंदिर में 21 क्विंटल फूलों की लडिय़ों से नंदीमंडपम से लेकर गर्भगृह और मुख्य द्वार तक सजावट की गई है। सवारी मार्ग पर 120 मंच लगाए हैं। करीब 350 क्विंटल फूलों से अगवानी होगी। 7 किमी लंबे सवारी मार्ग पर झालर और आकर्षक लाइटिंग की गई है। गोपाल मंदिर, सतीगेट को सजाया गया है।
कब-कहां होंगे दर्शन
- महाकाल मंदिर से प्रारंभ 4.00
- महाकाल घाटी चौक 4.20
- गुदरी चौराहा 4.35
- कहारवाड़ी 4.45
- हरसिद्धि पाल 5.00
- रामघाट 5.15
पूजन अर्चन के बाद वापसी
- बंबई वाले की धर्मशाला 6.00
- गणगौर दरवाजा 6.30
- ढाबा रोड सत्यनारायण मंदिर 7.00
- कमरी मार्ग 7.30
- टंकी चौराहा 7.45
- तेलीवाड़ा चौराहा 8.00
- कंठाल 8.30
- सतीमाता मंदिर 8.45
- गोपाल मंदिर 9.00
- पटनी बाजार 9.15
- गुदरी चौराहा 9.30
- महाकाल चौक 9.45
- महाकाल मंदिर प्रवेश 10.00