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महाकालेश्वर के दर्शनों के साथ ही होंगे ‘अनादिकल्पेश्वर’ के दर्शन

locationउज्जैनPublished: Aug 29, 2015 02:25:00 pm

Submitted by:

आभा सेन

उस समय अग्नि, सूर्य, पृथ्वी, दिशा, आकाश, वायु, जल, चन्द्र, ग्रह, देवता, असुर, गंधर्व, पिशाच आदि नहीं थे।

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उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी में अनादि समय में कथा के पहले एक उत्तम लिंग पृथ्वी पर प्रकट हुआ। उस समय अग्नि, सूर्य, पृथ्वी, दिशा, आकाश, वायु, जल, चन्द्र, ग्रह, देवता, असुर, गंधर्व, पिशाच आदि नहीं थे। इस लिंग से जगत्स्थावर जंगम उत्पन्न हुए। इसी लिंग से देव, पितृ, ऋषि आदि के वंश उत्पन्न हुए।

इस लिंग को अनादि सृष्टा माना जाने लगा। ब्रह्मा तथा शिवजी में इस बात पर विवाद हो गया कि सृष्टि का निर्माता कौन है। दोनों स्वयं को मानने लगे। तभी आकाशवाणी हुई कि महाकाल वन में कल्पेश्वर लिंग है, यदि उसका आदि या अंत देख लोगे तो जान जाओगे कि वही सृष्टिकर्ता है। ब्रह्मा उसके आदि तथा अंत को नहीं खोज पाए।

तब उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर अनादिकल्पेश्वर नाम से यह लिंग प्रसिद्ध होगा। इसके दर्शन मात्र से ही सारे पाप नष्ट हो जाएँगे। यह लिंग महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। महाकालेश्वर के दर्शनों के साथ ही अनादिकालेश्वश्वर को दर्शन होंगे।
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