script#SpeakUP: CM साहब क्या ‘मोबाइल गेम’ से दूर हो जाएगी बेरोजगारी! | SpeakUP on un employement in u.p and free mobile offer | Patrika News

#SpeakUP: CM साहब क्या ‘मोबाइल गेम’ से दूर हो जाएगी बेरोजगारी!

Published: Sep 05, 2016 04:10:00 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

अगर 2017 में दोबारा से सपा सरकार बनती है तो 18 साल से ऊपर वाले सभी व्यक्तियों को फ्री मोबाइल दिया जाएगा। जानकार इसे चुनावी पैंतरा मान रहे हैं लेकिन  सवाल वही बुनियादी है कि क्या मोबाइल बांटने से यूपी की समस्याएं दूर हो जाएंगी।

लखनऊ. सूबे की समाजवादी सरकार युवाओं को रिझाने के लिए एक और लुभावना वादा करने जा रही है। अगर 2017 में दोबारा से सपा सरकार बनती है तो 18 साल से ऊपर वाले सभी व्यक्तियों को फ्री मोबाइल दिया जाएगा। जानकार इसे चुनावी पैंतरा मान रहे हैं लेकिन सवाल वही बुनियादी है कि क्या मोबाइल बांटने से यूपी की समस्याएं दूर हो जाएंगी। 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले प्रदेश में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। रोजगार से जुड़ा वादा करने के बजाए मोबाइल बांटने का वादा क्या किसी समस्या का हल है..

युवाओं का करना पड़ता है पलायन

यूपी में बेरोजगारी की यह स्थिती है कि अधिकांश युवाओं को जॉब के लिए पलायन करन पड़ता है। खासतौर से प्रोफेशनल कोर्स के बाद यूपी में जॉब के चांसेज कम हैं। या जो मौके हैं भी वो दिल्ली-एनसीआर की तरफ हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्थिति इस मामले में ज्यादा खराब है। गोरखपुर, इलाहाबाद, वाराणसी आदि जिलों में न ही कोई बड़ी कम्पनी है और न ही ऐसी बड़ी फैक्ट्रियां जहां युवा प्रोफेशन कोर्सेज के बाद रोजगार पा सकें।

student


पीएचीडी और एमबीए वाले भी चपरासी बनने को तैयार


यूपी में बेरोजगारी का आलम यह है कि पीएचडी, एमबीए, पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट डिग्रीधारी भी चपरासी और सफाईकर्मी बनने को तैयार हैं। यही मिल जाए। यूपी में बेरोजगारों ने संविदा पर सफाईकर्मियों की भर्ती के लिए बड़ी संख्‍या में आवेदन किए हैं। आवेदन करने वालों की कतार में अब सिर्फ खास वर्ग ही नहीं सामान्‍य वर्ग पीएचडी और प्रोफेशनल डिग्री धारक भी हैं। जिस पर पद के लिए शैक्षिक योग्‍यता मात्र कक्षा आठ पास मांगी गई हो उस पद के लिए प्रोफेशनल डिग्रीधारकों के आवेदन करने से यूपी में बेरोजगारों की पीड़ा खुद ब खुद बयां हो जाती है।

सरकारी तंत्र है वजह

रिटार्यड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह की मानें तो इसकी वजह सरकारी तंत्र है। तमाम दिक्कतों जानने के बावजूद सरकारी महकमा इस ओर केवल खानापूर्ति करता है। जो वैकेंसीज आती हैं उनमें योग्यता से ज्यादा जुगाड़ तंत्र काम करता है। ऐसे में युवाओं के लिए पलायन मजबूरी बन जाती है।

unemployement

लॉ-ऑर्डर भी है वजह


लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव का इस पर कहना है कि जब तक लॉ-ऑर्डर की स्थिती यहां ठीक नहीं हो जाती, तब तक यहां बड़ी कंपनियां नहीं आएंगी। आईटी कंपनी के नाम पर केवल एक या दो कंपनी होने से बेरोजगारी की समस्या नहीं खत्म हो पाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो