20 हजार साल पुराने जनजातियों की तरह व्यवहार करने वाली ‘अमेजन जनजाति’ की तस्वीरें पहली बार दुनिया के सामने आई हैं।
20 हजार साल पुराने जनजातियों की तरह व्यवहार करने वाली ‘अमेजन जनजाति’ की तस्वीरें पहली बार दुनिया के सामने आई हैं। ये जनजाति मानव सभ्यता के विकास में इतनी पीछे छूट गई है कि आज भी जंगलों में नग्न अवस्था में रहती है। शरीर पर रंग पोतती हैं। बाहरी दुनिया से इनका कोई संपर्क नहीं है। तकनीकी और आधुनिकता से कोसो दूर, जंगलों में झोपड़-पट्टी बनाकर रहने वाली इस ब्राजिलियन आदम जनजाति ने एक बार फिर विकास की रफ्तार और परमाणु अस्त्रों के संग्रहण की होड़ में शामिल दुनिया की नजरों को अपनी तरफ खींचा है। 2008 में भी ब्राजील के जंगलों में इसी तरह की जनजाति देखी गई थी।
तस्वीरों में ‘अमेजन जनजाति’ के लोग हाथों में तीर-कमान थामे हैं। उनके शरीर पर टोटू बने हैं। रंग पुता है। जंगलों से इन तस्वीरों को खींचकर दुनिया के सामने रखने वाले ब्राजीलियन फोटोग्राफर रिकार्डो स्टकर्ट का कहना है ‘मुझे लग रहा है, मैं अंतिम शताब्दी का पेंटर हूं।’ स्टकर्ट ने लो-फ्लाइंग हेलिकॉप्टर से इन तस्वीरों को लिया है। जब वो तस्वीरें ले रहे थे इस जनजाति के लोग गुस्सा हो गये और हेलिकॉप्टर पर तीर से निशाना लगाने लगे।
4 साल में लोकेशन बदलती हैं ये जनजातियां
ब्राजील की आदम जनजातियों पर शोध करने वाले कार्लोस का कहना है कि ये जनजातियां चार साल में अपने स्थान में तब्दीली करती रहती हैं। हालांकि, इस दौरान ये अपना समूह नहीं बदलती हैं। समूह समान रहता है, बस जगह बदल जाती हैं। ये जनजातियां भारत की घूमंतू जनजातियों की तरह हैं। कार्लोस 40 सालों से इस तरह की जनजातियों पर रिसर्च कर रहे हैं।
बड़े तादाद पर जंगलों के कटने से इन जनजातियों को है खतरा
रिकार्डो का कहना है कि हम ऐसे वक्त में रह रहे हैं जब इंसान चांद पर पहुंच गया है। लेकिन ब्राजिल में अभी भी कुछ जनजातियां ऐसी हैं जो हजारों साल पुराने इंसानी दुनिया की तरह रहती हैं। इन जनजातियों का निवास हजारों एकड़ के जंगलों में फैला है।
इनमें प्रवेश की सख्त मनाही है। यही वजह है कि जब मैं इनकी तस्वीरें उतार रहा था ये लोग तीर-कमान से निशाना लगाने लगे। इन्हें डर था कि हम इन्हीं किसी तरह का नुकसान ना पहुंचाए। बता दें कि ब्राजील में बड़े तादाद पर जंगलों की कटाई की जा रही है। 2014 से वनों की कटाई में ज्यादा वृद्धि हुई है। यह बढ़कर 476 फीसदी हो गया है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के मुताबिक, हर साल 58,000 वर्ग किलोमीटर की रफ्तार से जंगल कट रहे हैं।
(यह स्टोरी मूल रूप से इंडिपेंडेंट की वेबसाइट से ट्रांसलेट की गई हैं। तस्वीरें भी वहीं से ली गई हैं )
तस्वीर साभार- इंडिपेंडेंट (रिकार्डो स्टकर्ट)